Sunday, February 23, 2014

Maithili Drama "Bhamati" Staged Successfully By Mithiyatrik-Jhankar






मैथिली नाट्य संस्था मिथियात्रिक झंकार, कोलकाता द्वारा 19 जनवरी 2014कें कला कुंज, कला मंदिर में  श्री सुशील झा द्वारा लिखित आ श्री शंभूनाथ मिश्रा द्वारा निर्देशित महान एतिहासिक मैथिली नाटक भामतीक मंचन कएल गेल। नाटकक मंचनसं पहिने एहि अवसर पर आयोजित सम्मान समारोहमे लब्ध प्रतिष्ठित लेखक आ भामतिकेर नाट्यकार श्री सुशील जाकें स्व डॉ अशर्फ़ी झा अमरेश स्मृति मातॄभाषा संवर्धन सम्मान 2014सं सम्मानित भेला।श्री सुशील झाकें स्व डॉ अशर्फ़ी झा अमरेश स्मृति मातॄभाषा संवर्धन सम्मान 2014सं सम्मानित भेला। डारवेफ़ (डॉ अशर्फ़ी झा अमरेश वेलफ़ेयर ऎजुकेशनल फ़ाउन्डेशन)क चेयरमेन प्रो शंकर झा द्वारा श्री सुशील झाकें 11001/- टकाक नगद सम्मान राशिक संग प्रशस्ति पत्र प्रदान कएल गेल। ई सम्मान मातॄभाषा आ साहित्यक क्षेत्रमे उत्कृष्ट योगदानक लेल प्रति वर्ष प्रदान कएल जायत अछि। पछिला बर्ख बरिष्ठ साहित्यकार श्री गुणनाथ झाकें प्रदान कएल गेल छल। कार्यक्रमक अन्तमे मिथियात्रिक-झंकारक सचिव रंगकर्मी श्री संजय ठाकुर सांगठनिक प्रतिवेदन पढि संस्थाक गतिविधि आ उपलब्धिपर इजोत देला। मंचक संचालन कयलनि श्री भास्कर झा ।

माननीया पूर्व सांसद आ हिन्दी विभागक पूर्व अध्यक्षा डॉ चन्द्रकला पाण्डेय द्वारा भामती के मंचनक उदघाटन समारोहक उदघाटन कएल गेल। एहि अवसर पर मुख्य अतिथिक रुपमे श्री एसके दास, सीमा शुल्क आयुक्त (पोर्ट)  आ विशिष्ट अतिथिक रुपमे श्री विश्वंभर नेवर , निर्देशक, ताजा टीवी आ प्रधान संपादक हिन्दी दैनिक छपए- छपतेउपस्थिति छलैथ ।

मिथिलाक इतिहासक पृष्ठभूमिक आधार पर भामती ठाढी गाम निवासी पं वाचस्पति मिश्रक धर्मपत्नी छलीह। भामती नाटक जनश्रुति कथा पर आधारित अछि। ध्यातव्य अछि जे ई कथा मात्र भामतीक महान त्याग, तपस्या आ चरित्र पर आधारित अछि,जेकर चर्च मिथिले धरि नहिं, अपितु समस्त भारत वर्षमे प्रसिद्ध अछि। भामती प्रतीक थीक मिथिलाक नारीक। मिथिलाक नारी माने भेल एकटा एहन प्रकाशकीय आभा जाहि आलोकमे सम्पूर्ण भारतीय नारीत्व प्रकाशित होयत अछि। ओना आदिकालहिंसं मिथिलाक नारी प्रखर एवं तेजस्विनी रहलीहय, जतय स्वयं शंकराचार्यकें मिथिलामे प्रास्त होबय पड़लनि आ एतS वाचस्पति मिश्र अपने घरमे, अपने स्त्री भामतीसं परास्त होयत छथि। स्त्री शक्ति स्वरुपा होयछ, तकर प्रमाण मिथिलामे प्राचीने कालसं निरन्तर भेटैत आयलए। उदाहरणार्थ त्रेतायुगमे जनक पुत्री सीता आ एहि कलियुगमे भामती अकाट्य प्रमाण अछि।

बहुमुखी प्रतिभाक धनी , आत्म विश्वासी  आ दृढ संकल्पित नाट्य निर्देशक श्री शंभूनाथ मिश्रा जीक वाचस्पतिक भूमिकाक बड्ड सराहनीय छल। प्रारंभिक गंभीरता आ साहित्यक प्रति प्रगाढ अनुराग मे रमल ग्रन्थकार आ नाटकक उत्तरार्धमे हुनक हॄदयमे जगल प्रेमक अनुभूति सं आभिभूत वाचस्पति मिश्राक चरित्रकए अपन भावाभिनय द्वारा जीवन्तता प्रदान कए शंभूनाथ मिश्रा जी एक बेर फ़ेरसं अपन मनोहारी अभिनय आ कुशल नाट्य निर्देशनसं मैथिली नाट्यप्रेमीक हॄदयमे बनल अपन स्थानके आरो पुखता केलनि अछि। जाहि गंभीरतासं वाचस्पति मिश्राक जीवन के अपन अभिनयक प्रदर्शन सं रंगमंचीय कौशल देखौलनि, ओ अपने आपमे एकटा पैघ थिक। समस्त झंझावत के बादो अपन प्रतिभा आ नाट्य कौशलक उत्कृष्ट प्रदर्शन करैत सफ़ल निर्देशनक एकटा उकृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करयमें सफ़ल भेलथि। साहित्यिक जटिल वाक्यांशके रंगमंचक भाषामे परिवरतन कए नाटकमे प्रयुक्त सहज संवादक बले सब कलकारक अभिनयके एकटा नव आयाम भेटल। सशक्त आ माजल रंगकर्मी, नाट्यनिर्देशक, अभिनेता, नाट्य संचालनक रुपमे शंभूनाथ मिश्रा जीक कोनो शानी नहिं। पछिला साल सेहो कोलकाताके मिथियात्रिक झंकार के तत्वावधानमें  श्री शंभूनाथ मिश्रा जीक निर्देशनमे भेल मैथिलीक प्रसिद्ध नाटक शेष नहिंक सफ़ल मंचन भेल छल आ दर्शकलोकनिक वाहवाही बटोरअ में सफ़लता भेटल छल। निस्सन आ माजल रंगकर्मी, प्रख्यात नाट्यनिर्देशक अभिनेता श्री शंभूनाथ मिश्राक निर्देशनमे मंचित ई नाटक हर रुपमे सफ़ल भेल, एहना बूझना जा रहल अछि।

नाटकक प्रमुख् नायिका भामतीक चरित्रमे श्रीमती शशिता रायक अभिनय उत्कृष्ट छल। संवाद सम्प्रेषण, हाव भावक सहज अभिव्यक्ति नातकक सफ़ल मंचनमे उल्लेखनीय यॊगदान बूझना गेल। शशिता राय एहन रंगकर्मी छैथ जेकि मैथिली रंगमंच पर महिला पात्रक खगताके पूरा करबामे पूर्ण सहयोग दैत आबि रहली अछि। अपन सहज आ स्वभाविक अभिनय सं दरशकक मन मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़यमें सफ़ल रहली।


नवोदित रंगकर्मी कुमारी पूजा पाठकक अभिनय नाटकके एकटा जीवन्त रुप प्रदान कयलक। ई हुनक पहिल नाट्याभिनय छल जाहिमे ओ अपन प्रभाव छोड़यमें बड्ड सफ़ल भेलीह ।

 
मैथिली रंगमंच आ फ़िल्मक सशक्त अभिनेता रंगकर्मी श्री दिनेश मिश्रा द्वारा अभिनित फ़ुरन्दरक भूमिका उपस्थित दर्शककें अपन दिस खींचयमे सफ़ल भेल । नाटकमे फ़ुरन्दर एकटा नकारात्मक चरित्र अछि जेकि भामतीक सहपाठी रहैत। फ़ुरन्दर पंडित वाचस्पति मिश्राक रचना वा पाण्डुलिपि सब चूराबक असफ़ल प्रयास करैत छैथ। एहि खलपात्रकें विविध भाव-भंगिमासं जीवन्तता आ यथार्थता प्रदान करैत दिनेश जीक अभिनय उत्कॄष्ट आ बड्ड प्रभावी रहल । हुनक हास्य आ व्यंग्य मिश्रित संवाद संवाद सबके नीक लागल।  संक्षिप्तत:,  “भामतिनाटकक सफ़ल मंचनमे दिनेश मिश्राक अभिनय उल्लेख़नीय रहल । एहि ठाम एहि बातक उल्लेख़  आवश्यक अछि जे दिनेश जी हमर अप्पन गाम अप्पन लोक”,  “पिया संग प्रीत कोना हम करबै”, ‘खुरलुच्ची” दूरदर्शन पटनासँ प्रसारित मैथिली सीरियल 'नयन ने तिरपित भेल' आदिमे अपन अभिनय देखा चुकल छैथ। दिनेश जीक नबका फ़िल्म घोघमे चान्दकिछुये दिन पहिने रिलीज भेल अछि।



एकमात्र दृष्यमे मंच पर बहुत दिनक बाद अवतरित भेल छलैथ लोकप्रिय अभिनेता आ रंगकर्मी श्री भवनाथ झा चुनचुन । वैद्य जीक एकटा छोटछीन भूमिकामे हुनक दमदार अभिनय बड्ड प्रशंसनीय रहल। हुनक संवाद, भाव शैली, वाच्य अनतरण गजबे छल। हुनक जतेक प्रशंसा करी, से ओतबे कम। दोसर दिस, सुधीर झाक षौमित्रक रुपमे सहज अभिनय सेहो बड्ड नीक लागल सब दर्शनकें।।

भामति नाट्यमंचनक सबसं पैघ विशेषता चल प्रयुक्त बैकग्रान्ड गीत संगीत । प्रत्येक दृष्यक समापन केर उपरान्त किछु गीतक बोलअक सहयोगसं संबंधित कथानक सार कहि नाटकक सहज सामंजस्यता रखबाक यथेष्ट प्रयास कएल गेल। गीतक माध्यमे कथा सारक अदभुत प्रस्तुति अपने आपमें विलक्षण छल। गायक रुपमें दिनेश सिंहक स्वर सबके आकृष्ट कएलक। प्रकाश आ संगीतक मनोहारी संयोजन अदभुत छल। 

आद्योपरान्त नाटक देखबाक दॄष्टिसं ई त S अवश्य कहि सकैत छी जे निस्सन आ माजल रंगकर्मी , प्रख्यात नाट्-निर्देशक , अभिनेता श्री शंभूनाथ मिश्राक निर्देशनमे मंचित ई नाटक हर रुपमे सफ़ल भेल, जाहिमें समस्त रंगकर्मीक सराहनीय भूमिकाक उत्कृष्ट योगदान छल। मैथिली नाटयमंचनक इतिहासमें भामतीक एहि मंचनकें ससम्मान इयाद राखल जायत ।

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