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Sunday, August 18, 2013

50 Years Of Maithili Cinema

                 मैथिली सिनेमा पचास वर्ष                                                      -   भास्कर झा 
सिनेमा मनोरंजनक एकटा प्रमुख साधन मानल जायत अछि। आजुक युगमें समाजक सशक्त माध्यम आ अभिव्यक्तिकरण अछि सिनेमा जाहिमें सामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक विकासक कलात्मक अभिव्यक्ति स्पष्टरुपे परिलक्षित होयत अछि। सिनेमा आ संगीतक माध्यमें भाषा, साहित्यिक वैभव व सांस्कृतिक समृद्धिकें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित कएल जा सकैत अछि। 

सर्वविदित अछि जे मिथिला साहित्यिक आ समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराक केन्द्र रहल अछि। मुदा दुखक बात जे  सिनेमाक माध्यमसं एकर सम्यक प्रदर्शन एखन धरि नहिं भ सकल अछि। राष्ट्रीय मंच पर बंगाली, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम आदि सदृश्य मिथिला आ मैथिलक पहिचान आ छवि निर्माण करयमें अपेक्षित सफ़लता नहिं भेट सकल अछि। मिथिला आ मैथिलीक अस्मिता बढबैमें फ़िल्म, गीत, संगीत केर उल्लेखनीय योगदान आ भूमिकाकें अस्वीकारल नहिं जा सकैत अछि। कहबाक कोनो आवश्यकता नहिं जे मिथिला आ मैथिली साहित्यिक आओर सांस्कृतिक रुपें अत्यंत समृद्ध अछि। मुदा एहि उपेक्षित क्षेत्रमें व्याप्त आर्थिक विपन्नता, सामाजिक असमानता आदि मिथिलाक विकासक मार्गमें अवरोधक अछि। तकर बादो सजग मैथिल एहि चुनौतीकें स्वीकार करैत सामाजिक समस्या आ आर्थिक विपन्नतासं लड़बाक संग संग अपन सांस्कृतिक विरासत आओर साहित्यिक परम्पराकें सफ़लतापूर्वक संवर्धित आ अनुरक्षित करबाक यथेष्ट प्रयास कए रहल छैथ।

भारतीय सिनेमा 3 मई 2013 कें अपन 100 वर्ष पूरा कएलक। 1913में भारतक पहिल मूक फ़िल्म “ राजा हरिश्चन्द्र”सं प्रारंभ फ़िल्मी यात्राक शताब्दी पूर्ण भेलके उपल्क्ष्यमें देश- विदेशमें आनन्द महोतसव आ सम्मान समारोहक आयोजन कएल गेल। दोसर दिस, भोजपुरी सिनेमा जकर प्रारंभ मैथिली सिनेमाक संग संग भेल छल, अपन पचासम वर्ष पूरा कएल। भोजपुरिया समाजमें हर्षक वातावरण देखल जा सकैत अछि। बहुत रास पत्र-पत्रिकामें भोजपुरी सिनेमाक इतिहास आ उपलब्धि संबंधी लेख प्रकाशित कएल गेल अछि। बड्ड हर्षक बात जे मैथिली सिनेमा सेहो अपन पचासम वर्ष पूर्ण कए लेलक। स्मरणीय अछि जे मैथिलीक पहिल फ़िल्म “ ममता गाबय गीत”क मुहुर्त अगस्त 1962में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना केर सभागारमें सपन्न भेल छल। मैथिली सिनेमाक पचास वर्ष भेला पर दरभंगामें मार्च 2013में प्रथम मैथिली फ़िल्म फ़ेस्टिवलक आयोजन कएल गेल । एहि समारोहमें देश विदेशक माय्थिली सिनेप्रेमी, प्रतिनिधि, निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री, गायक, गायिका सहित ख्यात प्राप्त रंगकर्मीक उपस्थिति आह्लादकारी साबित भेल। मैथिली सिनेमाक दशा – दिशा, उपलब्धि आदि पर संगोष्ठीक आयोजन कएल गेल। मैथिली सिनेमामें  विशेष अवदानके लेल योगदान देनिहार मैथिलपुत्र/पुत्रीकें सम्मानित कएल गेल।

मैथिली फ़िल्म त्रय

महंत मदनमोहन दास, उदयभानु सिंह आ केदारनाथ चौधरीक निर्माण आ सी परमानन्द केर निर्देशनमें  “ नैहर भेल मोर सासुर” नामसं प्रारंभ भेल फ़िल्म “ ममता गाबय गीत”कें अकर मुहुर्तक आधार पर मैथिलीक पहिल फ़िल्म मानल जायत अछि, त फ़णि मजुमदार निर्देशित ”कन्यादान”कें पहिल प्रदर्शित फ़िल्म।मुदा 1964में प्रकाशित वैदेही केर मार्च बला अंकमें ‘ नैहर भेल मोर सासुर”कें मैथिलीक तेसर फ़िल्म कहल गेल अछि। खैर, जे होय। 

भोजपुरीक पहिल फ़िल्म “ गंगा मैया तोहरे पियरी चढेबौ” आर “ ममता गाबय गीत”क निर्माण लगभग एकहि संग प्रारंभ भेल छल। “ गंगा मैया तोहरे पियरी चढेबौ” फ़रबरी 1963में पहिने रिलीज भs s बिहारक पहिल फ़िल्म होयबाक तगमा हड़पि लेलक, त दोसर दिस मैथिली सिनेमा पछुआयत चलि गेल। भोजपुरी सिनेमाक पदार्पण तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसादक मात्रृप्रेमक प्रतिफ़ल छल त मैथिली सिनेमाक आरंभ प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरु द्वारा 1961में मैथिलीकें अकादमीमें मान्यता प्रदान कयल जेबाक पछाति मैथिलक हृदयमें जनमल भाषाप्रेम आऒर हुनक स्वप्रोत्साहन आ स्वप्रेरणा। भोजपुरी भाषी अभिनेता, निर्माता, निर्देशक आदि केर सतत सहयोग आ संरक्षण पाबि भोजपुरी सिनेमा आगू बढैत चलि गेल त दोसर दिस मैथिली सिनेमा आपसी ईर्ष्या-द्वेष, वाद-विवाद, अहंवादी प्रवृतिक कारणे पछुआयत रहि गेल।
“ ममता गाबय गीत”कें अपन तीत इतिहास अछि। एकर निर्माणमें लगभग 19 वर्ष लागल ! प्रारंभिक किछु शूटिंगक बाद किछु कारण्वश फ़िल्म निर्मान ठमकि गेल छल। मुदा मैथिलीक रसिद्ध गीतकार रबीन्द्रनाथ ठाकुर (रबीन्द्र-महेन्द्र फ़ेम) आ तत्कालीन इन्कम टैक्स कमिश्नर श्री सीताराम झाक अथक रयास आ सराहनीय सहयोगसं फ़िल्मक पुनर्निर्माण कएल गेल। अन्तत: ई फ़िल्म 1981में रिलीज भेल । गर्वक बात छी जे एहि फ़िल्मक निर्माणमें सी परमानंद जीक अभिन्न मित्र प्रसिद्ध अभिनेता राजेन्द्र कुमारक डिम्पल स्टुडियो आ सुनील दत्तक अजन्ता स्टुडियोक अहम भूमिका छल।एहि फ़िल्मक माध्यमें गीता दत्त, सुमन कल्याणपुर, महेन्द्र कपूर आदि केर स्वरमें मैथिली 
गीत सुनबाक अवसर भेटल समस्त मैथिल लोकनिकें।

मैथिली साहित्यिक उत्कृष्टतासं प्रभावित होयत आ एकर महत्ताके बुझैत फ़णि मजुमदार “ कन्यादान” बनौला। प्रसिद्ध कथाकार हरिमोहन झाक उपन्यास “ कन्यादान” आ “द्विरागमन” पर आधारित एहि फ़िल्ममें प्रसिद्ध साहित्यकार चन्द्रनाथ मिश्र “ अमर’ जी सेहो महत्वपूर्ण भूमिका निभौने छलाह। मुदा ई फ़िल्म हिन्दी संवादक अधिकताक कारणे चलि नहिं सकल। मुदा 1964-65में रिलीज भ’ क’ मैथिलीक पहिल प्रदर्शित फ़िल्म होबयके रिकार्ड अपना नामे कए लेलक। दुलाल सेन आ विन्द्यवासिनी देवीक संगीत निर्देशनमें विद्यापतिक दुगोट गीत के स्वर देने छलीह चन्द्राणी मुखर्जी , उषा मंगेशकर आ कमोल बरोट। एहि फ़िल्ममें प्रसिद्ध गायक मन्नाडे सेहो गौने छलाह।

हिन्दी फ़िल्मक प्रसिद्ध निर्देशक, गीतकार, एवं निर्माता दरभंगा निवासी प्रह्लाद शर्माक प्रयाससं हुनक निर्देशनमें “ जय बाबा बैद्यनाथ” (1972-79) बनल। आचार्य सोमदेव, अमर जी सेहो एहि फ़िल्ममें गीत लिखने छलाह। दुर्भाग्यवश इहो फ़िल्म चलि नहिं सकल। मुदा  प्रह्लाद शार्मा जीक प्रयास प्रेरक रहल।
एहि प्रकारे हम देख सकैत छी जे उपरोक्त फ़िल्म त्र के कारणे मैथिली फ़िल्मक लेल समुचित आ अपेक्षित वातावरण निर्माण संभव भ गेल।

मैथिली फ़िल्मक दोसर चरण प्रारंभ होयत अछि बहुचर्चित फ़िल्म “ सस्ता जिनगी महग सेनुर” (1999) सं । मिथिलाक मूल समस्या दहेज प्रथा पर आधारित ई फ़िल्म मैथिली सिनेमाक इतिहासमें मीलक पाथर साबित भेल। एहि अवधिमें भोजपुरी फ़िल्मक गतिविधि ठमकल छल, मुदा “ सस्ता जिनगी महग सेनुर” अपार सफ़लतासं प्रभावित होयत भोजपुरी सिनेमा फ़ेरसं दौड़य लागल मुदा नंग धरंग (अश्लीलता) आ मैथिली सिनेमा अपन संस्कारक पाग पहिरने फ़ेरसं ठमकि गेल। 2000सं 2004 धरि कोनो मैथिली फ़िल्म व्यवसायिक दृष्टिसं सफ़ल नहिं साबित भेल। मुदा तईयो एहि फ़िल्म, गीत संगीतक प्रभावकें नकारल नहिं जा सकैत अछि। “ आऊ पिया हमर नगरी”(2000), “ममता”, “सपना भेल सुहाग” (2001),” सेनुरक लाज” (2004) सब फ़्लॉप भ गेल। मुदा आऊ पिया हमर नगरी आ सेनुरक लाज दर्शकक मोन में आइयो अछि। 2005में प्रदर्शित “ कखन हरब दुख मोर” केर गीत संगीतक लोकप्रियता मैथिली सिनेमाक पियासल कंठमें सुखद जल साबित भेल। एहि समय प्रदर्शित” दुलरुआ बाबू” दर्शकक दुलार नहिं पाबि सकल। 2006में प्रदर्शित मनोज झा निर्देशित “ गरीबक बेटी” गरीबे रहि गेल। मुदा पिताक हृदयमें किछु आह्लाद द गेल। गोपाल पाठक “ अहां छी हमरा लेल” किनकरो नहिं भ सकल। 2008में ‘ सिन्दुरदान”के लेल दर्शक नहिं भेटल। 2010में ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै” नीक कथावस्तु,सुन्दर कथ्य,मधुर गीत संगीतक बादो दर्शककें अपन प्रीत नहिं देखा सकल।

2011में मुरलीधर निर्देशित “ सजना के अंगना में सोलह सिंगार”, युवा निर्देशक विकास झाक ‘ मुखिया जी” प्रदर्शित भेल। मुदा ई दुनु फ़िल्म किछु खास सिनेमा हॉले धरि सीमित रहि गेल। मुरलीधर अपन एहि फ़िल्ममें ओ जादू नहिं देखा सकला जेकि ओ अपन पहिल फ़िल्ममें देखौने छलैथ। दोसर दिस “ मुखिया जी” सेहो अपन मुखियागीरी देखाबयमें असफ़ल भ गेल। परंच, एहि फ़िल्मक माध्यमें एकटा होनहार, प्रभावी, दक्ष आ तकनीकी जानकारी रखनिहार युवा निर्देशक भेटल मैथिली सिनेमाके- विकास झाक रुपमें। फ़ेर, महेन्द्र चौधरीक “ साजन अहां बिना” त आयल, मुदा आबैत आबैत थाकि गेल। 2012के उतरार्द्धमें दु गोट महत्वपूर्ण फ़िल्म प्रदर्शित भेल- “ चट मंगनी पट्ट भेल बियाह” आ ‘ एक चुटकी सिन्दुर”। “ चट मंगनी…..” कम बजटक थोड़-बहुत नीक फ़िल्म छल- सुन्दर गी-संगीतसं सजल। फ़िल्म ठीक ठाक चलल। ओतहि “ एक चुटकी सिन्दुर” जेकि चीर प्रतीक्षित छल, मोन नहिं जीत सकल।

2012-2013 केर अवधि मैथिली सिनेमाक लेल महत्वपूर्ण समय साबित भ रहल अछि। कारण, एहि अवधिमें मैथिली सिनेमाक भविष्य उज्ज्वल करबाक हेतु नीक नीक शुभ संभावनाक जन्म भेल अछि। एहि समयमें लगभग दु दर्जन सं बेसी फ़िल्मक घोषणा भेल अछि। रिलीज भेला पर किछु फ़िल्म नीक चलि रहल अछि। मनोज झा निर्देशित “ खुरलुच्ची” सफ़लतापूर्वक चलि रहल अछि। दर्शक केर नीक “ रिस्पॉन्स” भेट रहल अछि। दोसर दिस, दिल्लीक युवावृन्द केर सहयोगसं बनल “ छूटत नहिं प्रेमक रंग” जेकि 10 मई के फरीदाबाद के निलम टॉकीज मे  रिलीज भेल, दर्शकक मन-मस्तिष्क पर अपन रंग  देखाबयमें ततर देखाइ द रहल अछि। आब, मनोज झाक “ हमर सौतीन” रिलीज होमय जा रहल अछि।
प्रथम मैथिली फ़िल्म फ़ेस्टिवलक उपरान्त मैथिली सिनेमाके नव आयाम आ उड़ान भेटल अछि। घोषित फ़िल्मक वर्तमान सूची पाय्घ भेल जा रहल अछि। एहि सूचीमें लगभग दु दर्जन फ़िल्मक नाम लेल जा सकैत अछि जाहिमें- संस्कार,घटकैती, सेनुरक मोल बड्ड अनमोल, हीरो-तोहर दिवाना, रंगबाज छौड़ा, अछिंजल, घोघमें चान्द, हड़बड़ी बियाह कनपट्टी सेनुर, छोटकी कनिया बड़की कनिया, चैनपुरवाली, हमरो करा द बियाह, सौतीनक बेटी, रमौलीबाली, अहां सं लागल लगन, चारि धाम, मिथिला धाम, ईश्वर अल्लाह तोरो नाम आदि किछु नाम उल्लेखनीय अछि।

मैथिली सिनेमाक लेल  नेपालोमें बहुत रास महत्वपूर्ण काज  भेल अछि आ एखनो भ रहल अछि। 
निष्कर्षत: ई साबित भ रहल अछि जे मैथिली सिनेमाक भविष्य उज्ज्वल अछि। भोजपुरी सिनेमाक अश्लीलतासं दर्शकक मोनमें उचात आबि गेल अछि। एहि परिदॄष्यमें मैथिली सिनेमा एकटा नीक बाजार आ उद्योगक रुपमें उभड़त, कारण बहुत रास दर्शक, निर्माता,निर्देशक, अभिनेता आदि मैथिली सिनेमा दिस जल्दिये घुड़ताह, ई कहब कोनो अतिश्योक्ति नहिं।

मैथिली दर्पण केर दोसरका अंकमे अगस्त 2013मे प्रकाशित लेख।
 - भास्कर झा

1 comment:

  1. bahut nik jankari del apnek ,

    etak gap eketham , padhait bahut nik lagal , asha achhi ahina patak gan ke nik - nik janakri del karion
    apnek anuj - madan kumar thakur

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