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Saturday, January 17, 2015

Half Murder: Music Reviews


मैथिली फ़िल्म "हाफ़ मर्डर": जीवंत-गीत-संगीत



गीत ओ संगीत कोनो फ़िल्मक प्राण तत्व थिक जाहि माध्यमसं हृदयक कोमलता आ भावुकताक अनुभूतिकारावल जायत छैक। संवेदना आ भावना परिमार्जित भएलासं सुखद अनुभूति आ आत्मीय तृप्ति ओ आनन्दक लाभ भेटैत छैक। कहबाक आवश्यकता नहिं जे मैथिली भाषाक मनोरम माधुर्यक कोनो तोड़ नहिं आ जहन एहि सुन्दर भाषा केर गीतकें सुन्दरतम सुर- धुन भेट जाय त' फ़िल्मक कथा-पटकथाक उत्कृष्ट भावाभिनयकें नयनाभिराम सम्मोहनक संग संग श्रवण- संवेदना जागृत भ जायत छैक। किछु एहने तत्व देखबाक आ भाव-माधुर्यक मीठगर चासनी चखबाक आ मधु-मिश्रित बोल सुनबाक भेटल अछि अद्य-प्रदर्शित मैथिली फ़िल्म " हाफ़ मर्डर"मे।

साईंचरण एन्टरटेनमेन्ट प्राइवेट लि द्वारा प्रस्तुत, सत्य घटना पर आधारित फ़िल्म " हाफ़ मर्डर" पारम्परिक विषय-वस्तु जे एखन धरिक फ़िल्मक अहम केन्द्र बिन्दु रहल अछि,सं हटिकए विह्वल प्रेम भावनाक तरंगमे बहकल , भसियायल एक जोड़ा प्रेमीक कथा थिक। फ़िल्मक बहुत रास विशेषतामे सं एकटा प्रमुख विशेषता अछि फ़िल्मक अंग्रेजी नाम जेकि मैथिलक नव आ पुनर्जागरण सोचक प्रतीक बूझना जायछ। एहन साहसपूर्ण डेग उठेबाक लेल निर्माता धन्यवादक पात्र छैथ। दोसर विशेषता, स्टीयरोटाइप कथासं हटि फ़िल्ममें ज्वलन्त मुद्दाक समावेशन। तेसर विशेषता अछि हिन्दी फ़िल्म जगतक पांच गोट प्रख्यात ओ लोकप्रिय गायक ओ गायिकाक फ़िल्ममें एकसंगे सस्वर-निनाद जेकि एकटा एतिहासिक कीर्तिमानक झंडा गाड़ि देलक अछि।

मैथिली गीत संगीतक जानल मानल नाम सुनील पवन जी फ़िल्मक संगीतकार छैथ त डॉ चन्द्रमणि, सियाराम झा सरस, सुनील पवन आ रमानाथ झा , शैलेष झा गीतकार ! "हाफ़ मर्डर" फ़िल्ममें कुल आठ गोट गीतक समावेश कएल गेल अछि जेकि भावनाक विविध छटाक प्रतिनिधित्व क' रहल अछि। ओना त फ़िल्मक शीर्षक गीतकें स्वर देने छैथ कुमार शानू, मुदा सीडीमे पहिल नम्बरक गीतमें रवीन्द्र जैन जीक गावल गीत " जानि नई केक्कर नजरि लगलई" कें स्थान देल अछि। टाइटल गीते जका ईहो गीत हमरा बूझने बैकग्राउन्डेक गीत अछि । गायन नीक लागि रहल अछि मुदा जाहि स्पष्टताक संग श्वरक उदभासन होयबाक चाही तकर किछु अभाव खटकि रहल अछि।

फ़िल्मक सबसं सुन्दरतम आ मधुरतम , कर्णप्रिय गीतमें से एकटा गीत अछि " किये हंसि-हंसिके नयना सं" । प्रसिद्ध गीतकार डॉ चन्द्रमणिक बोलकें अपन स्वर देने छैथ गायकद्वय उदित नारायण आ कविता कृष्णमूर्त्ति । श्रोता पर ई गीत अपन चीरकालीन प्रभाव छोड़यमे सफ़ल बूझना जा रहल अछि। ऑडियो सीडीमें तेसर स्थान पर ऎहि फ़िल्मक टाईटल ट्रेक" केहन जमाना बदलि गेलइयै"कें राखल गेल अछि। कुमार शानूक स्वर प्रेमपरक गीतक लेल उपयुक्त मानल जायत मुदा एहि टाईटल गीतकें गाबि फ़िल्मक प्रति न्याय करबाक भरिसक चेष्टा कयलनि अछि।

" अप्पन सजना पर हमरो गुमान"क कर्णप्रियता गायन ओ संगीत संयोजनक उत्कृष्ट प्रमाण अछि। कविता कृष्णमूर्त्ति ओ सुनिल पवन जीक गायन बड्ड नीक लागि रहल अछि ! एहि प्रियगर गीतक माध्यमे गायक संगीतकार सुनील पवनक " हस्की" स्वर कविताक सुर-स्वरकें नीक टक्कर दैत बूझना जायछ।

वेस्टर्न धुन धुसरित गीत " कहिया तक अहिना , बजाबैत रहू"मे शान केर ओ बात नजरि नहि आबि रहल अछि जाहिलेल ओ लोकप्रिय छैथ। गायनमे जोशक अभाव नहिं, मुदा रटन्त चलन्त मोनोटोनस ट्रैक पर शान केर शान आ सानक तेज नहिं आयल अछि। आरोह- अवरोहक अभाव सबसं ज्यादा खटकि रहल अछि। हुनक गायन दक्षताक पूर्ण सदुपयोग नहिं भेल अछि, ऎहन बूझबामे आबि रहल अछि। वेस्टर्न टाइ गीतक प्रयोग केर परिपाटीकें अपनायब निश्चित रुपें एकटा अभिनव प्रयोग अछि।

फ़िल्ममें एकटा लगनी (गीत)क प्रयोग कएल गेल अछि- " जहिया सं धरती रानी" जाहिमे अपन स्वर देने छैथ मैथिलीक प्रसिद्ध गायक ज्ञानेश्वर जी। गीत नीक बनल अछि मुदा करूणा प्रधान लगनीमें मार्मिकताक किछु कमी खटाकि रहल अछि। किछु स्केलक आयाम-व्यायामक अथवा संगीत संयोजन किछु मध्यम लागल मुदा गीतक प्रारंभमें "रामा हो "आ अन्तमे लेल गेल "शिव हो"क टानसं श्रोता लोकनिककें गीत पसीन आयल। सियाराम झा सरस केर हॄद्यस्पर्शी बोलकें अनमोल बनएबाक चेष्टामें दूबे जीक गायन शैली पसीनगर अछि।

" रंग उड़ैय गुलाल आबि गेल फ़ागुन"मे होलीक मातल मादकता अबस्से होली'क आगमन केर पूर्वाभास करबैत बूझना जायत अछि। मो अजीज अपन गायकीक भांगमें मस्त छैथ। गीतक मध्य कोरसक प्रयोग नीक बुझाइत अछि। जोगिरा अन्दाजके बड्ड सुन्नर प्रयोग भेल अछि। मो अजीजकें संग देबयमें रमानाथ झा आ सुनील पवन प्रभावी छैथ। फ़िल्मक अन्तिम गीत " नयन सं तु नयन मिला" सेहो नीक गीत अछि। विकास झा, राधा पान्डे आ शेलेष झाक सुमधुर स्वर प्रभाव छोड़ि रहल अछि।

कुल मिलाकए, ऑडियो सीडीक आवरण पर किछु अनायास त्रुटि यथा गीतक नाममे वर्तनीक अशुद्धता (नजरी, हंसी-हंसी, नईना, नैइन , नईना आदि), नामक अशुद्धता (रमा नाथ/ Ramanath Jha , चन्द्रमणी, शानु, पांन्डे आदि) के छोड़ि देएलाक बाद एहि फ़िल्मक गीत संगीत पक्ष बड्ड सुन्नर, मधुरगर, प्रियगर, कारगर अछि। समस्त निर्माणी दलक सद्स्यक परिश्रम सार्थक आ फ़लदायी अछि। फ़िल्मक माध्यमें पूर्ण रुपमें नामचीन गायक आ गायिकासं मैथिली गवा एकटा कीर्तिमान स्थापित कएल गेल अछि। संगीतकारकें रुपमें सुनील पवन उदीयमान भेल छैथ। निर्माता-निर्देशक रमानाथ झा'क सुन्नर सोच, सूझ-बूझ, समीचीन निर्णय, गायक-गायिकाक सहज चयन केर प्रतिफ़ल थिक हाफ़ मर्डर आ एकर कर्णप्रिय गीत ओ संगीत ! समस्त टीमकें एक आम समीक्षक दिस सं हार्दिक शुभकामना !


आओर अन्तमे उक्त फ़िल्मक ऑडियो सीडी समीक्षा हेतु पठेबाक लेल सुनील पवन जीकें बहुत बहुत धन्यवाद ! - भास्कर झा
 


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