ई छथि सिनेमा जगत के उभरैत
सितारा मूलरुप सं दरभंगा के रहनिहार संजीव पूनम मिश्रा। हिन्दी फ़ीचर फ़िल्म “लोकनायक
जयप्रकाश”, ”खो गया है” , मैथिली फ़िल्म
“ अप्पन गांव अप्पन लोक,” “द माइग्रेशन”
आदि में अपन सशक्त अभिनयक क्षमताक प्रदर्शन केने छथि। अक्वासॉफ़्टेक
मिनरल वॉटर, ब्रीटिश लिंग्वा, जसपाल
गैस पेपर आदि विभिन्न तरहक एड (विज्ञापन- प्रिन्ट तथा विडियो) करैत अपन कैरियर आगा
बढाब बला संजीब पूनम जी वर्तमान में प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल आर
संतोष कुमार जैन के सं एकटा हिन्दी फ़िल्मक प्रोजेक्ट पर कार्य कय रहल छथि।
संजीव पूनम जी डॉक्यूमेन्टरी कार्यक्रम में से हो अपन महत्वपूर्ण भूमिका निभौने छथि । अहि क्षेत्र में “मिथिला के संस्कार गीत” तथा परियोजना निर्देशकक रुप में “गंगा तट की सुबह” आदि उल्लेखनीय नाम अहि। “सजा”,नैन न तिर्पित भेल”, हंसते रहो लड़ते रहो”, पुरुष परीक्षा आदि टीवी सीरियल / रेडियो सीरियल में हुनक अभिनयक बड प्रशंसा भेल।
2000 सं इप्टा तथा भंगिमा, सर्कल थियेटर , नई दिल्ली सं जुड़ल संजीब पूनम जी अभिनयक संग संग “अंधेर नगरी”, “धूर्त समागम”, “ठग”, “पागल- खाना”, “गबर घिचोर” , “मुझे कहां ले आए हो कोलम्बस “ आदिक निर्देशन से हो केने छथि ।
संजीव पूनम जी डॉक्यूमेन्टरी कार्यक्रम में से हो अपन महत्वपूर्ण भूमिका निभौने छथि । अहि क्षेत्र में “मिथिला के संस्कार गीत” तथा परियोजना निर्देशकक रुप में “गंगा तट की सुबह” आदि उल्लेखनीय नाम अहि। “सजा”,नैन न तिर्पित भेल”, हंसते रहो लड़ते रहो”, पुरुष परीक्षा आदि टीवी सीरियल / रेडियो सीरियल में हुनक अभिनयक बड प्रशंसा भेल।
2000 सं इप्टा तथा भंगिमा, सर्कल थियेटर , नई दिल्ली सं जुड़ल संजीब पूनम जी अभिनयक संग संग “अंधेर नगरी”, “धूर्त समागम”, “ठग”, “पागल- खाना”, “गबर घिचोर” , “मुझे कहां ले आए हो कोलम्बस “ आदिक निर्देशन से हो केने छथि ।
संजीब जी के दो बर्षक लेल भारत सरकार द्वारा थियेटर के क्षेत्र में कार्यक लेल स्कॉलर्शिप से हो देल गेल छनि। आईआईटी फ़ेस्टिवल पूने तथा इन्टर यूनिवर्सिटी तरंग महोत्सव, गया के अवसर पर पर तसंजीब जी द्वारा निर्देशित नाटक “मुझे कहां ले आए हो कोलम्बस” के सर्वश्रेष्ठ नाटकक पुरस्कार आर “गबर घिचोर” क लेल सर्वश्रेष्ठ संगीतपूर्ण नाटकक पुरस्कार सं पुरस्कृत कायल गेल ! “हॉन्टेड नाइट्स”में अपन अभिनय क्षमता देखाकय मुकेश भट्ट केर केंपके प्रभावित करयमें हिनका सफ़लता भेटल छैन।
रिपोर्ट -भास्कर झा
nik actor aa nik insaan seho..parijaat haran me krishna k role me nik acting kene chaalah..
ReplyDeleteDo you think we should stick to the aanchal of our mother to raise her name? Or shall we spread our wings to come out and establish ourselves all over the globe to raise the name of our mother? Birbal Jha
ReplyDeleteBut there is no harm/problem/issue to use your mothers name in your name.
Deleteझक्कास! आगा त'लोक कहत
ReplyDeleteकौशल
hhhmhmhhhhmm....bachpanaaa mat karo....DARIYAA MAI KUDO....TO PATAA CHAL JAAYEGAA !!
ReplyDeleteMITHILANCHAL MAEN KALAKARAK ABHAV THORBAE ACHHI............ KHALI HUNKA AAPAN KALA KAE PRADARSHIT KARVAK MAUKA MILNA CHAHEE............ JHAKKAS........THANKS..........
ReplyDeleteWOW.....REALLY.....GOOD ACTOR,HARDWORKING,.....I KNOW DEAR U WILL MAKE HISTORY....BEST OF LUCK DEAR...
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