मैथिली सिनेमा : अन्हार जंगलमे इजोतक खोज - किसलय कृष्ण
किसलय कृष्ण |
मैथिलीक बीज फिल्म
"ममता गाबय गीत"क मुहूर्त कें आधार मानि मैथिली सिनेमाक पचासम साल पूर्ण
हेबाक ढोल पीटबा मे किछु लोक अपस्यांत छथि । एहि उपलक्ष्यमे मिथिलाक सांस्कृतिक
राजधानी दरभंगामे आगामी मार्चमे मैथिली फिल्म फेस्टिवलक आयोजन प्रस्तावित अछि। एम्हर दोसर दिस हालहिमे
प्रदर्शित मैथिलीक एकटा फिल्म दर्शकक आभाव वा नकारल गेलाक कारने पहिल सप्ताहक भीतरे विभिन्न छविगृह सँ बहार भ जाइत अछि
आ निर्माताकें निराश होमय पड़ैत छनि । दोसर फिल्म एकाध कस्बाई सिनेमघरमे प्रदर्शित भ लोकप्रिय होइतो अछि त ओकरा दरभंगा,मधुबनी ,सीतामढ़ी,सहरसा आदि मुख्य केंद्रमे रजत पटल नसीब
नहि होइत अछि।
पहिल फिल्म निर्माता मनोज ठाकुरक "चट मंगनी पट भेल बियाह "आ दोसर रमेश रंजनक "एक चुटकी सिनुर "अछि । राजसी फिल्म प्रोडक्सनक बैनर तर मे निर्मित "चट मंगनी पट भेल बियाह " अपन शीर्षक अनुरूप सम्पादित काज प्रतीत होइत अछि । युवा कथाकार ऋषि वशिष्ठक लिखल संवाद सभ अवस्से हास्य परसबा योग्य छल,मुदा अभिनेता सभक अति नाटकीयता सभक उर्जाकें झूस कयलक अछि। कोनो व्यावसायिक फ़िल्मक एक तिहाई भाग गीत-संगीतक होइत अछि आ एही फिल्मक गीत-संगीत कोनो अर्थें लोकप्रिय नहि भ सकल अछि। युवा गायक पवन नारायणक संगीत बस औपचारिकता मात्रक निर्वहन क' सकल अछि । किछु पारंपरिक आ मौलिक धुनक समिश्रण करबामे सफल होइतो संगीतकार संगीत संयोजन आ ध्वनि प्रभावमे पिछड़ी गेलाह अछि। ई प्रायः मैथिलीमे पहिल प्रयास अछि जे सम्पूर्ण रूपसँ हास्य पर केन्द्रित फिल्मक निर्माण भेल।फ़िल्मक केन्द्रीय चरित्रमे मधुबनीक वरिष्ठ रंगकर्मी किशोरनाथ अपन मंचीय प्रतिभाक खूब जमिक' उपयोग केलनि अछि, मुदा अतिनाटकीयता परदाक व्याकरणमे फिट नहि बैसि सकल अछि। अभिनेत्रीमे काजल, भाषा झा सहित रामसेवक ठाकुर , कल्पना मिश्र आदिक अभिनय सामान्य कोटिक अछि। आनमे बेसी कलाकार सभ पर्दा पर अयबाक लौल मात्र पूरा केलनि अछि। हाँ ...... रंगमंच आ सिनेमाक परिचित नाम अनिल मिश्र एते सेहो किछु करबाक प्रयास केलनि अछि । जाहिसँ बेसी करबाक गुंजाइश संभवतः पटकथामे नहि छलनि . एते टीम कें ई बुझब आवश्यक छल जे सिनेमक निर्माण लेल ओकर व्याकरणक ज्ञान आ पालन अनिवार्य तथ्य अछि,अन्यथा फ़िल्मक दुर्दशा होयब स्वाभाविके अछि।सम्पूर्णतामे ई कहल जा सकैत अछि जे "चट मंगनी पट भेल बियाह "क असफलता मैथिली फिल्म उद्योगमे लागल युवा सभकें सिनेमाई व्याकरणक प्रति साकांक्ष करैत अछि।
"एक चुटकी सिनुर"डी .एस .एम् . फिल्म्स इंटरनेशनल द्वारा रमेश रंजनक निर्माण आ निर्देशनमे बनल सम्पूर्ण पारिवारिक फिल्म अछि जाहिमे कर्णप्रिय गीत-संगीत एकर मजगूत पक्ष अछि। संगीतकार रवि दा एहिमे मिथिलाक पारंपरिक धुन सभक सुन्दर समायोजन केने छथि आ रंजना झा,पवन नारायण,कुञ्ज बिहारी मिश्र ,जितेन्द्र ,मीनू मिश्र आदि रमेश रंजनक गीत सभकें जे स्वर प्रदान केने छथि से मधुर आ कर्णप्रिय बनल अछि।"किये बैसल छें तू मोन मारि मैया गे ,कनिको त' रखिते धिआन ....गे माय जिनगी के नै छै ठेकान .."चर्चित गायिका रंजना झा केर स्वर मे अत्यंत कारुणिक बनल अछि जाहिसँ महिला दर्शकक झुकाव फिल्म दिस भ' सकल आ हौल हाउसफुल भ' सकल। एहू फिल्ममे अभिनेता अनिल मिश्रक अभिनय प्रशंसनीय रहल अछि आ ओ मैथिली सिनेमाक परिचित नायक बनबाक मार्ग पर अग्रसर छथि .संगहि अभिनेत्री नम्रता झा , हिमांशु ,दीपा,महेंद्र नारायण लाल कर्ण आदि सेहो अपन भूमिका संगे न्याय करबामें सफल भेल छथि। कुणाल ठाकुर सभसं बेसी जमलाह अछि अपन अलग तरहक छविमे । "एक चुटकी सिनुर"महिलाक विभिन्न समस्या सभकें एकसंग एकठाम उठेबाक प्रयास थीक जाहिमे कोनो तरहक नवता ताकब व्यर्थ होयत। पूर्णतः मनोरंजनक पेटार बनल एहि फिल्मकें बेनीपट्टी क्षेत्रमे अपार सफलता भेटलैक अछि । मुदा दुखद विन्दु ई अछि जे एकर प्रदर्शन एखन धरि मिथिलाक केंद्र स्थली सभमे नहि भ'सकल अछि। कारण वितरण व्यवस्थाक अनुरूप हौल सभ भोजपुरी-हिन्दी फिल्मक प्रदर्शनमे अपस्यांत अछि।
आब एतय प्रश्न ई ठाढ़ होइत अछि जे पचास सालमे मैथिली सिनेमा कतय ठाढ़ अछि ? कांच-अधपाकल फिल्म बनेबासं मैथिली भाषा-संस्कृति कें कतेक नफा -नोकसान ? जं कोनो फिल्म ढंग सँ बानियो जाइत अछि त ' ओकर प्रदर्शनमे बाधा आ समस्या किएक ? एहि संदर्भमे मुंबई प्रवासी मैथिल फिल्मकार मनोज श्रीपतिक कहब छनि जे मैथिली फिल्मक नाम पर बेसी लौल कएल जा रहल अछि। सार्थक आ परिपक्व ढंगे मैथिली फिल्मक निर्माण आ मार्केटिंग नहि भ'रहल अछि । ई मैथिली सिनेमाक व्यापारमे सभसं पैघ बाधक अछि। एहि तरहें मैलोरंग नई दिल्लीक निदेशक आ युवा रंगकर्मी प्रकाश झा सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपन मंतव्यमे लिखैत छथि जे मैथिली फिल्मक निर्माता -निर्देशक सभ अप्रशिक्षित टीम संगे काज क' रहल छथि ,तें परिणाम शून्य होइत अछि। ओ ईहो कहैत छथि जे अनिल मिश्र सन प्रतिभावान अभिनेताक अभिनय क्षमता केर सदुपयोग करबा मे कोनो मैथिली फिल्मकार एखन धरि सफल नहि भेलाह अछि। प्रसिद्ध रंगनिर्देशक कुणाल मैथिलीमे बनि रहल एखनुक अधिसंख्य फिल्म कें जोगाड प्रोडक्सनक कमाल कहैत छथि .
तें इ आवश्यक अछि जे एहि पचासम वर्षमे हम सभ आत्म- विवेचना करैत एहि विन्दु पर एकजुट होइ आ कार्ययोजना बनाबी। नायक- निर्देशक बनबाक लौल छोडि मैथिली फ़िल्मक सम्मुन्नत भविष्यक प्रति अपन इच्छाशक्तिकें जगाबी , तखने कोनो सार्थक परिदृश्य सोझां आबि सकत। अन्यथा हड़बड़ी बियाह कनपट्टी सिनुर बला कहाबत चरितार्थ होइत रहत ।
खूब नीक लागल हमरा...
ReplyDeleteBahut sunder... Apnek dwara del gel ehi samalochna bahut nik lagal sanghi hamar mitra ANIL MISHRA jik abhinay prasansa hamra aauro praffulit kelak acchi.... tahi hetu apney sab sadasya ke hardik subhkamna..
ReplyDeleteRANJEET KUMAR JHA