Wednesday, August 31, 2011

मैथिली फिल्म ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’


मैथिली फिल्म ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’
आम तौर पर मैथिली फिल्मो का निर्माण नहीं के बराबर होता है लेकिन जल्द ही एक फिल्म ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’ प्रदर्शित होने वाली है . ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’ कहानी है समाज में व्याप्त अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार और किसी पिटी परंपराओं की । इस फिल्म द्वारा समाज को समाज में हो रहे कुरीतियों और विकृतियों का सही आईना दिखाकर एक सही दिशा देने का प्रयासभर है। इसके मुख्य पात्रा हैं राहुल भारती, राखी त्रिपाठी, शिव आर्यन, तृप्ति माडकर, ललन सिंह, राजीव सिंह, विनित झा, रीता श्रीवास्तव, रूबी, अरूण, विनोद, गुआर, दीपाली चैबसे एवं मुरलीधर निर्माण परिकल्पना एवं संवाद संदीप झा के कथा-पटकथा, गीत-संगीत एवं निर्देशक मुरलीधर का हैं छायांकन युसूफ खान, चित्र संकलन विभूति भूषण, नृत्य केदार सुब्बा, द्वंद रोशन श्रेष्ठ कार्यकारी निर्माता घनश्याम निसार है।
लगभग एक दशक उपरांत निर्देशक मुरलीधर सस्ता जिनगी मंहगा सेनुर के अपार सफलता के बाद दूसरी फिल्म मिथिलावासी मिथिला भाषी के बीच लेकर आ रहे हैं ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’ का जो सितम्बर में प्रदर्शित होने जा रही है।

साक्षात्कार :आन्हर क रोल करब चुनौती छल: श्रृति झा


करै लगलथि इ श्रृति कए पता नहि चलल। ‘धूम मअंग्रेजी साहित्य क पढ़ाई आ थियेटर करैत-करैत कखन सीरियल चाओ धूम’, ‘जिया जले’, ‘ज्योति’ आओर ‘शौर्य आ सुहानी’ सन सीरियल मे काज करि छोट पर्दा क जरिए..घर-घर मे पहचानल चेहरा श्रृति झा इमैजिन टीवी पर आबि रहल सीरियल रक्त संबंध मे लीड भूमिका मे छथि। एहि मे ओ आंखि क रोशनी गवां चुकल ‘संध्या’ क रोल निभा रहल छथि। प्रस्तुत अछि समाद लेल श्रृति झा स विनीत उत्पल झा क गपशपक खास अंश-ः

-अंग्रेजी साहित्य क स्टूडेंट छी, एक्टिंग मे कोना आबि गेलहु?
-स्कूल-कॉलेज मे थियेटर करैत रही। दिल्ली विश्वविघालय क श्री वेंकटेश्वर कॉलेज स जखन ग्रेजुएशन करि रहल छलहुं तखने थियेटर ग्रुप ज्वाइन केने रही। कॉलेज क ड्रामा सोसाइटी मे शामिल भेल रही आ एक साल प्रेसिडेंट सेहो बनल रही। ओहि दौरान काफी थियेटर केने रही आ एहि स संबंधित वर्कशॉप मे भाग सेहो लेने रही।
-अहांक पैतृक घर कतए भेल, परिवारक आओर कियो एहि फील्ड मे छथि?
-हमर पैतृक घर बिहार क दरभंगा जिला क डरहार नामक गाम भेल। पापा फर्स्ट फ्लाइट कोरियर मे एमडी (नेपाल) छथि। परिवार क कोनो सदस्य एक्टिंग या फिल्म प्रोडक्शन क फील्ड मे नहि छथि।
-एहि मुकाम तक पहुंचबा मे कोनो तरह संघर्ष ?
-कॅरियर मे जतय तक पहुंचलहु अछि, माता-पिता क पर्याप्त सहयोग रहल। कहियो कोनो काज लेल ओ मना नहि केलथि। शुरूआत मे कनि दिक्कत भेल, मुदा आब जखन हमरा टीवी पर देखैत छथि, त सबकए नीक लगैत छैन।
-कौन-कौन सीरियल मे काम केलहु अछि?
-‘धूम मचाआघ् धूम’, ‘जिया जले’, ‘ज्योति’ आ ‘शौर्य आ सुहानी’ मे अभिनय करबाक अवसर भेटल अछि। सीरियल ‘जिया जले’ आ ‘शौर्य आ सुहानी’ मे लीड रोल छल।
-इमैजिन टीवी पर आबि रहल ‘रक्त संबंध’ मे कौन तरह क रोल अछि?
-‘रक्त संबंध’ मे आन्हर लड़की ‘संध्या’ क रोल करि रहल छी। ओ पांच बहिन मे सबस छोट अछि। ओकर विवाह क दिन ओकर पिता खुदकुशी करि लैत छथि आ फेर पांचों बहिन क परिवार सेहो अछि।
-एकटा आन्हर लड़की क रोल करब केतब मुश्किल छल?
-इ रोल करब अपना मे चुनौती छल, मुदा हम एकरा स्वीकार केलहुं। एहि स पहिने सेहो हम मेंटली अनसाउंड क किरदार निभा चुकल छी। ‘संध्या’ कए आंखि मे रोशनी नहि हेबाक कारण स ओकरा लेल हर चीज खूबसूरत छै। ओ अपन दायरा मे सुंदरता कए परिभाषित करैत अछि।
-एहि सीरियल मे आ के के अछि?
-एहि मे हमर अलावा किटी कृष्णमूर्ति, सायंतनी घोष, गुनगुन, भार्गवी चिरमूले, सोनाली निकम, मोहन अगाशे, सचिन श्राफ, ध्रुव भंडारी आदि छथि।
-भविष्य मे कौन तरह क काज करब पसिन करब?
-जतय काज भेटत, नीक काज भेटत, हम जरूर करब।
-की-की शौक अछि अहांक?
-पढ़बाक शौक अछि, फिल्म सेहो खूब देखैत छी। क्लासिक आ ऑटोबायोग्राफी पढ़ब काफी पसिन अछि। अमिताभ घोष क किताब हमरा नीक लगैत अछि। एखन अबरार अल्वी क ‘टेन ईयर वीथ गुरूदत्त’ पढ़ि रहल छी।
-ककरो स रिलेशन?
-हमरा असगर रहब नीक लगैत अछि आ संघर्ष करब सेहो।
फिलहाल हम ककरो संग कोनो ‘रिलेशन’ मे नहि छी।

साक्षात्कार : कलाकार मनक हत्‍या नहि कए सकलहुं : राहुल


बहुमुखी प्रतिभाक धनी राहुल गाम घर मे नाटक खेलाइत खेलाइत कहिया एकरा अपन करियर बना लेलथि हुनको पता नहि चलल । ‘बाहुबली’ क ललन क रूप मे काज करि छोट पर्दा क जरिए..घर-घर मे पहचानल चेहरा राहुल आइ हिंदी आ मैथिलीक कईटा सिनेमा मे लीड भूमिका निभा रहल छथि। हुनकर मैथिली फिल्म सजना के आँगन में सोलह श्रृंगार एहि साल आबि रहल अछि। प्रस्तुत अछि इसमाद लेल राहुल स सुनील कुमार झाक गपशपक खास अंश-
प्र- राहुल सबस पहिने इसमाद स गप करबा लेल धन्‍यवाद।
राहुल- अहूं कए धन्‍यवाद
प्र- अहांक पैतृक घर कतए भेल, परिवारक आओर कियो एहि फील्ड मे छथि?
राहुल- हमर घर मधेपुरा भेल। हमर जन्म 21 फरबरी 1977 कए मधेपुरा जिलाक एकटा छोट सनक गाम बुधमा में भेल अछि। …।
प्र- अहांक एकटा कलाकार बनबा मे माता-पिताक एतबा योगदान अछि।
राहुल- हम पढाई लिखाई मे ठीक रही। अपन क्लास मे फर्स्ट करैत रही, ताहि लेल माता-पिता सेहो कहियो कला स कोनो समझौता करबा लेल दबाव नहि देलथि। हुनकर सहयोग क कारण आइ एहि ठाम छी।
प्र- अहांक पढाई कतए भेल।
राहुल- प्रारंभिक शिक्षा स ल कए स्नातक तक क शिक्षा सहरसा जिला मे मनोहर लाल टेकरीवाल कॉलेज स केलहुं। सांख्यकी स स्नातक केला क बाद दिल्ली एलहुं आ त्रिवेणी कॉलेज स फोटोग्राफी मे स्नातक केलहु, मुदा भीतरक कलाकार मन…फोटोग्राफी मे नहि रहबा लेल बेर बेर दबाव द रहल छल। किछु दिन क बाद हिमाचल प्रदेश क मंडी ड्रामा स्कूल स ड्रामेटिक आर्ट मे डिप्लोमा करबाक फैसला लेलहुं आ ओहि ठाम स निकललाक बाद सीधा मायावी नगरी मुंबई…।
प्र- अहांक कला यात्रा कोना शुरू भेल।
राहुल- हम जीवन क पहिल स्टेज नाटक अपन कॉलेज क दिन मे सहरसा मे केने रही, जेकर नाम छल अमली… सहरसा क आह्वान नाट्य मंच केने छल। आरटी रंजन क निर्देशन मे मंचित इ नाटक सहरसाक लोक क दिल मे बैस गेल छल आ हमरा एकटा सशक्त अभिनेता क रूप मे उभरबाक मौका भेटल।
प्र- मुंबई मे केहन अनुभव रहल, काज भेटबा मे केतबा दिक्‍कत भेल।
राहुल- अनुभव नीक रहल आ आज भेटबा मे कोनो पैघ दिक्‍कत नहि भेल। मुंबई एला क बाद पहिल बेर अभिनय करबाक मौका भेटल बाहुबली धारावाहिक मे ललन सिंह क भूमिका स। बिहार क बाहुबली नेता पर बनल ई धारावाहिक मे हमरा काफी स्‍कोप भेटल आ हमर काज क सराहना भेल। जेकर परिणाम सेहो सोंझा आयल। हिंदी फिल्म दिलनशी मे काज भेटल।
प्र- अहां मैथिली सिनेमा मे सेहो काज कए रहल छी।
राहुल- जी, हमर पहिल मैथिली फिल्म सजना क आँगन मे सोलह श्रृंगार दशहरा क सुभ अवसर पर अपना लोकनि क बीच आउत। एही मे हमर मुख्य भूमिका अछि। एकर अलावा सेहो हम दू टा मैथिली फिल्म कोशी मैया आ सबरी क बैर, आ एकटा हिंदी फिल्म पुष्पांजलि कए रहल छी।
प्र- अहां मैथिली सिनेमाक विकास लेल प्रयासरत छी, कोनो योजना अपन क्षेत्रक विका लेल सेहो अछि।
राहुल- योजना त बहुत अछि, मुदा जाहि पर गंभीरता स विचार कए रहल छी ओहि मे सएकटा सहरसा जिला मे एकटा नाट्य विद्यालय खोलबाक योजना कहि सकैत छी। अपन गाम घर क जे कलाकार टका या नीक दिशा निर्देश क आभाव मे अपन कलाकार मन कए हत्‍या करैत छथि हुनका लेल इ नाट्य विद्यालय वरदान साबित होएत।
प्र- राहुल अहांक आगामी सिनेमाक सफलताक बधाई आ इसमाद संग गप करबा लेल धन्‍यवाद।
राहुल- इसमाद कए सेहो शुभकामना आ धन्‍यवाद।

साक्षात्कार : स्‍नेह क परिणाम छी हमर दोसर फिल्‍म : मुरलीधर


थिलीक चर्चित फिल्म “सस्ता जिनगी महग सेनुर”क निर्देशक मुरलीधर मूलरूप सँ मिथिलाक निवासी छथि। भारत सरकारक छात्रवृति सँ 1978 में मुंबई पहुचि पद्म विभूषण पं. जसराज सँ संगीत सीखे लगलाह आ इप्टा सँ जुरलैथ। बीआर चोपडाक महाभारत मे कृपाचार्य सहित अनेको हिंदी,नेपाली आ मैथिली फ़िल्मक अभिनेता मुरलीधर निर्देशक रूप मे तखन चर्चित भेलाह जखन 1999 मे हिनक कथा-पटकथा-अभिनय-संगीत आ निर्देशन मे सस्ता जिनगी महग सेनुर प्रदर्शित भेल। आब हिनक दोसर मैथिलि फिल्म “सजना के आँगन मे सोलह सिंगार” प्रदर्शित होई बाला अछि। एहि सन्दर्भ मे प्रस्‍तुत अछि इ-समाद लेल किसलय कृष्ण संग भेल हुनक गप-सपक मुख्‍य अंश…

प्र.-मुंबई मे संगीत सीखैथ अनायास अभिनय आ निर्देशन दिस कोना भेल अपनेक पदार्पण ?
उ.-संगीत सीखबाक संगहि हम इप्टा सँ सेहो जुडि गेल छलहु आ यैह अभिनय-निर्देशन सँ आगाँ चलिक’
हमर जुडाव बनल….

प्र.-अपने फ़िल्मक प्रायः सभ विधाक काज केने छी…कने विस्तार सँ बताबियौक ईसमादक पाठक लेल…
उ.-जी..प्रारंभ मे हमर इच्छा पार्श्वगायक बनबाक छल…से किछु फ़िल्मक लेल कयबो केलहु…मुदा अपेक्षित
सफलता नहीं भेटल…पुनः संगीतकार बनबा लेल ज़ोगार मे लगलहु…पहिल बेर एकटा नेपाली फिल्म ‘देवकी’
क संगीत निर्देशन करैत पुनः हिन्दीक ‘मेम साहेब’,'यथार्थ’ आदि फ़िल्मक संगीत करबाक अवसर भेटल…आ फेर इप्टाक प्रभवे अभिनय दिस सेहो रुख कयल….

प्र.-पहिल बेर कोन फिल्म मे अभिनय कयलियैक…?
उ.-हिन्दीक ‘नक्सलपंथी’ आ तकर बाद नेपालीक कृष्णा मे बतौर नायक काज कयल आ हिंदी-नेपाली मे अभिनय सँ जुडल रहलहुं…

प्र.-आ सस्ता जिनगी महग सेनुर सँ निर्देशकीय पारी…..?
उ.-(खूब हँसैत) निश्चित…मुदा बड्ड कम लोक कें बुझल छैक जे हम एहि फ़िल्मक आधा निर्माता सेहो छलहु…बालकृष्ण झा आधा पैसा लगेने छलाह….जे से…निश्चित मैथिल दर्शक वर्गक अपार समर्थन भेटलैक…

प्र.-केहेन फायदा भेटल..?.हमर कहबाक तात्पर्य आर्थिक पक्ष सँ जुडल अछि…
उ.-किसलय जी…किछु-टा नहि…मुदा दर्शक जे स्नेह देलनि…तकरे प्रतिफल थीक जे आई हम दोसर फिल्म ‘सजना के आँगन मे सोलह सिंगार’ ल’क’ आबि रहल छी…

प्र.-मुदा एहि बीच मे हम कने ‘आउ पिया हमर नगरी’ दिस आन’ चाहब..जकर ९०% निर्देशन अहाँ कयने छलहुं…मुदा….?
उ.-(बात कटैत) एहि विन्दु पर फेर कहियो गप्प हेतैक….

प्र.-ठीक छै….सजना के आँगन ….के निर्माता के छथि आ कोन विषय-वस्तु पर अछि एकर पटकथा ?
उ.-संदीप झा शिक्षाविद छथि आ कैकटा इंजिनियरींग कॉलेज चला रहल छथि …वैह निर्माण क’ रहल छथि “सजना के आँगन मे सोलह सिंगार” क आ संवाद सेहो वैह लिखने छथि …कथा-पटकथा-संगीत आ निर्देशन हमर अछि…मिथिला समाज मे व्याप्त कुरीति सभ फ़िल्मक केंद्र मे अछि मुख्य फोकस विधवा विवाह पर अछि…..

प्र.-कने गीत-संगीत पर प्रकाश दैतियैक ….
उ.-सियाराम झा सरस आ स्वयं हमर गीत सभ अछि..जकरा उदित नारायण,साधना सरगम,दीपनारायण,इंदु सोनाली,बिनोद गुवार आ हम स्वयं सेहो स्वर देने छी…सरसक पुरान गीत ‘चेत कब्बड्डी …’ नव अंदाज़ मे अछि…

प्र.-अभिनय पक्ष मे के सभ छथि….आ फिल्म कहिया धरि प्रदर्शित हेबाक संभावना अछि…?
उ.-सस्ता जिनगी …क गजराज राजीव सिंह अपन खलनायाकीक दोसर पारी मे छथि…राहुल सिन्हा,राखी त्रिपाठी,तृप्ति नाडकर आदि से अभिनय सशक्त केने छथि आ से त’ दर्शक सेहो कहता….23,सितम्बर,2011 कें फिल्म प्रदर्शित करबाक योजना अछि….

प्र.-अंत मे मैथिली फिल्म उद्योग मे लागल युवा सभ लेल की कहबई अपनें …?
उ.-हम त’ यैह कहबनि जे पहिने सीखू आ तखन एहि क्षेत्र मे आउ आ मैथिली सिनेमा कें समृद्ध करू ….दोयम दर्ज़ा के काज नै करू … एहि सँ नै अहांक भला होयत आ ने मैथिलीक ….दर्शक सँ सेहो कहबनि जे बाज़ार सँ पायरेसी नहि कीनि…ओरिजिनल डिस्क कीनि अपन भाषाक फिल्म उद्योग कें समृद्ध करी …..

प्र-आगाँ की योजना सभ अछि मैथिली फ़िल्मक सन्दर्भ मे…?
उ.-एकटा नव फिल्म पर काज चलि रहल अछि …आगाँ माँ जानकीक इच्छा….

प्र.-अहाँ अपन व्यस्ततम समय मे सँ किछु समय द’ सकलहु ….ताहि लेल हम ईसमाद परिवार दिस सँ हार्दिक आभार प्रकट करैत छी…..
उ.-धन्यवाद…हमहूँ मुरलीधर मैथिलीक पहिल ई-पेपर ईसमाद कें शुभकामना आ धन्यवाद दैत छी…जे हमरा मोन पाडलहुं…

साक्षात्कार : हमरा कलुआ कहि कए बजबैत छथि : शशिरंजन



मैथिली आओर हिंदी रंगमंच स सिनेमा जगत तक पहुंचबा मे अभिनेता शशिरंजन क समक्ष कईटा बाधा आयल। तेरे मेरे सपन मे कलुआ क पात्र कए जीवंत कए ओ अपन प्रतिभाक प्रमाण दुनिया क समक्ष द चुकल छथि। 2010 मे स्टार परिवार अवार्ड लेल फेवरेट मज़ेदार सदस्य क रूप मे नामांकित शशिरंजन एखन धरि आध दर्जन स बेसी सीरियल क चुकल छथि। प्रस्‍तुत अछि मधुबनीक छोट सन गाम क रहनिहार ”बंटी” उर्फ शशिरंजन स प्रकाश झाक इ’समाद लेल भेल गपशप क किछु खास अंश-:

शशिरंजन आई-काल्हि अहाँ लगातार टेलीवीजन पर देखाइत छी. ई हमरा सब मैथिली भाषीक लेल आह्लादकारी अछि. कहू जे अहाँ अभिनय दिस कोना प्रेरित भेलहुँ ?
हम अपन पठन-पाठन लेल मधुबनी मे रहैत छलहुँ। ओही ठाम एक बेर “गीत एवं नाटक प्रभाग” क एकटा आयोजन भेल छल। ई संयोगे छल जे हमहूँ अपन किछु मित्र संग एहि आयोजन के देखबाल लेल गेल रही। आयोजन मे भेल नाटक हमरा अत्यंत प्रभावित केलक आ ओही दिन स’ हम एहि विधा दिस आकर्षित भेलहुँ।

अभिनय कोना आ कत’ स’ लिखलहुँ ?
गीत एवं नाटक प्रभाग द्वारा आयोजित नाटक देखि हम स्थानीय संस्था के तकैत पहुँचलहुँ। मधुबनीक “जमघट” नामक संस्था। यैह संस्था अछि जतए हम अपन अभिनयक प्रथम पाठ सिखलहुँ। एकरा बाद कतेको संस्था संग जुड़ी हम नाटक करैत रहलहुँ। मधुबनीक बाद हम दिल्ली चलि एलहुँ। अहू ठाम हम लगातार रंगमंच स जूड़ल रही। नाटक हमरा बड्ड बेसी आकर्षित करैत अछि। हम बहुतो नाटक केलहु। एखन तक लगभग 20 स 25 टा नाटक मे हम भाग ल चुकलहु। यैह विधा मात्र अछि जाहि स अहाम नीक अभिनय क’ सकैत छी। एहि तरहें कहि सकैत छी जे अभिनयक प्रारंभिक प्रशिक्षण मधुबनी मे भेल आ बाद मे दिल्लीक विभिन्न संस्था सभ स जूड़ि कए ।

एखन तक मैथिली मे कोन कोन नाटक केलहु अछि ?
मैथिली मे बहुत बेसी नाटक करबाक सौभाग्य हमरा नै प्राप्त भेल मुदा तौयो वागीश झा लिखित बिजुलिया भौजी नाटक के कतेको प्रस्तुति केलहु हम। एकरा बाद दिल्ली मे मैलोरंग स महेन्द्र मलंगियाजीक लिखल काठक लोक, राजकमल चौधरी जीक लिखल कमलमुखी कनिया नाटक केलहु। मैलोरंग स’ गोरखधंधा नामक नाटकक पूरा तैयारी सेहो केने रही मुदा ओहि साल बाढ़ि के प्रलय के कारण आयोजने स्थगित भ गेल तेँ ओ नाटक मंचित नहि भेल। ओना हम इहो कहि दी जे मैथिली मे हमरा महेन्द्र मलंगिया बहुत प्रभावित करैत छथि।

मैथिलीक कोन निर्देशक अहाँ के नीक लगैत छथि आ किएक ?
मैथिली मे हम एखन तक जतेक काज केलहुँ ओहि मे मात्र दूटा निर्देशक संग काज करबाक मौका प्राप्त भेल हमरा। पहिल छथि कमलानंद ‘विभूति’ आ दोसर छथि प्रकाश झा। ई दुनू गोटे हमरा नीक लगैत छथि। दुनू गोटेक काज करबाक तरीका नीक छनि।

एखन तक हिन्दीक कोनो कोन नाटक केलहुँ अछि आ किनका संग ?
हिन्दी मे बहुत काज करबाक मौका भेटल। जाहि मे कमलानंद विभूति संग हम बच्चे हैं चान से, रवि भूषण “मुकुल” संग बिजुलिया भौजी, सतीश आनंद संग अन्वेषक, अवतार साहनी संग अग्नि, प्रेम मटियानी संग समर यात्रा, राम जी बाली संग चारुदत्तम, केएस राजेंद्रन संग मृच्च्कतिक्कम, महाचैत्र, औरंगजेब, सुरेश अनागल्ली संग शाकुंतलम, रुद्रदीप चक्रबर्ती संग कर्ण, मोहन महर्षि संग मै इस्तांबुल हूँ, लोकेन्द्र त्रिवेदी संग गाथा भगत सिंह इत्यादि …

मैथिलीक कोन कोन संस्था अहाँ के नीक लगैत अछि आ किएक ?
मैथिली मे एखन कतेको रंग संस्था सब काज कए रहल अछि मिदा हमरा मात्र तीन टा संस्था नीक बुझना जाइत अछि। मिनाप (मिथिला नाट्यकला परिषद), पटनाक भंगिमा आ दिल्लीक रंग संस्था मैलोरंग। एहि तीनू संस्थाक सब कलाकार आ निर्देशक लोकनि एतेक अनुभवी आ बेजोड़ छथि जे हमरा बेर बेर आकर्षित करैत अछि। ई सब गोटे एतेक जबरदस्त कहानी उठबैत छथि जे सबहक मोन के छुबि लैत अछि। नीक अभिनेता आ अभिनेत्रीक रहबाक कारण हिनकर प्रस्तुति कमाल के होई छैन।

फिल्म जगत मे कोना एलहुँ ?
दिल्ली में रंगमंच करैत करैत किछु दूरदर्शन के काज भेटए लागल। ओही स’ माध्यम बनैत गेल। आ तेँ आब फिल्मों तक पहुँच गेलहुँ।

एहि विधा यानी नाटक आ फिल्म दिस अयबा मे पारिवारिक सहयोग कोना की रहल ?
हम मिथिलाक कायस्थ परिवारक बेटा छी, जाहि ठाम पढाई बहुत माइने रखल जाइत अछि। पिताजी के कहनाम रहैन कि हमरा लग एतेक रुपैया नहि अछि जे तोरा कोनो कोर्से वगैरह करबा देबौ। तेँ तोरा जे करबाक छौ से कर मुदा पढाई नै छोड़िहें। पारिवारिक वातावरण नीक छल। परिवार स आर्थिक त ओतेक नई मुदा मानसिक रूप स पूरा सहयोग भेटल।

कोन कोन सिरियल केलहुँ अछि ?
एखन तक जे किछु काज केलहु अछि ओहि मे किछु महत्वपूर्ण अछि — स्टार प्लस पर “तेरे मेरे सपने” ( जाहि लेल हमरा 2010 में स्टार परिवार अवार्ड में फेवरेट मज़ेदार सदस्य के रूप मे नामांकित कैल गेल), आ एहि चैनलक लेल “प्रतिज्ञा” धारावाहिक सेहो केलहुँ। स्टार वन पर “दिल मिल गए” आ “ढूंढ लेगी मंजिल हमें” बांकी दूरदर्शन क लेल किछु …..

अहाँक तेरे मेरे सपन मे कलुआ क पात्र के अत्यंत खूबसूरतीक संग निभेलहुँ। एकरा स’ संबंधित किछु संस्मरण हमरो सब के कहू।
एहि पात्रक लेल तीन महिना स ऑडिसन चलि रहल छल। हम बेर बेर ऑफिस गेलौं मुदा ऑडिसन नहि भ रहल छल। एक दिन ऑडिसन भ गेल आ ठीक दू दिन बाद फ़ोन आएल जे अहाँ चुनि लेल गेल छी। पहिले हमरा लागल जे दस-पन्द्रह दिनक रॉल होते। मुदा, जखन पता चलल जे ई पात्र सेकंड लीड छै त अत्यंत ख़ुशी भेल। सब स पहिले माँ के फ़ोन केलौं। दू दिनक कार्यशाला भेल। शूटिंगक पहिला दिन बहुत डर लागल जे एतेक बड़का पात्र मिडिया मे आई तक नै केलौं, कहीं कोनो गलती नै भ जाय। मुदा निर्देशक, केमेरामैन, सह-कलाकार आ पूरा टीम के सहयोग स कोनो तरहक दिक्कत नहि भेल आ सब के भरपूर प्यार भेटल।

एहि किरदार के करबा मे केहन अनुभव भेल ?
कलुआ एकटा गामक पात्र अछि। हम स्वंम ग्रामीण परिवेश मे पल-बढ़ल छी तें बेसी दिक्कत नहि भेल। हमर काज सब कए बहुत नीक लगलनि। सिरियल करबाक अनुभव बहुत आत्मीय छल। आइयो लोक हमरा कलुआ कहि क बजबैत छथि। ई सुनि नीक लगैत अछि।

अहाँ बहुत रास विज्ञापन मे सेहो अबैत छी – कोन कोन अछि से कहूँ ?

हाँ ! विज्ञापन त बहुत अछि। दूरदर्शन पर राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना संबन्धित कतेको विज्ञापन केलहुँ , सेट मैक्स के लेल सेहो नीक विज्ञापन दीवाना बना दे (सुन्दर और शीशा) केलहुँ। एखन एकटा नव विज्ञापन चलि रहल अछि — हॉजमोला मिंट मस्ती …

सेट मैक्स लेल कयल गेल अहाँक विज्ञापन हमरा सब कए काफी आकर्षित केने छल। एहि स संबंधित किछु जानकारी दिअ। ओ ई जे कोना ई किरदार अहाँ के भेटल आ कोना एकर शुटिंग समपन्न भेल ?
सेट मैक्सक विज्ञापन लेल लगभग तीन सौ लोकक ऑडिसन लेल गेल। एक सौ पचास मुंबई मे आ एक सौ पचास लखनऊ मे। एही विज्ञापनक शूटिंग लखनऊ मे भेल छल तेँ निर्देशक के इच्छा छलनि जे मुख्य अभिनेता (सुन्दर) लखनऊ मे भेट जाए त नीक। मात्र चारि गोटे के चयनित कयल गेल छल, जाहि मे एकटा हमहूँ रही। हमरा छोड़ि बाकी सब कलाकार लखनऊ क छथि। मात्र तीन दिन मे एकर शूटिंग करबाक छल। एतेक हड़बड़ी मे कनी कठिन रहल मुदा लास्ट शॉर्ट (स्वीटी वेट फॉर द ब्रेक) एक टेक मे भेलाक बाद, जखन पूरा यूनिट ताली बजेलक तखन बहुत खूशीक अनुभव भेल छल। वापसीक समय निर्देशक महोदय कहलथि… ‘मेंने तुम्हारा ऑडिसन देख कर ही कहा था – ये लड़का ज़रूर थिएटर का है’। हमरा लेल बस यैह अवार्ड जेना छल। जे कियो ई विज्ञापन देखलथि अछि … बेर बेर फोन करैत छथि।

एहि विधा मे एयबा लेल की सब आवश्यक अछि नबका तूरक लेल ?
ज़बरदस्त मेहनत आ ज़बरदस्त धैर्य। एकरा अलावा किछु नहि। जे मेहनत नहि करए जनैत छथि आ जिनका लग धैर्य नहि छनि ओ लोकनि एहि क्षेत्र मे नहि आबैथि।
मैथिली फिल्मक स्थितिक लेल अहाँक की विचार अछि ?
अपन मैथिली सिनेमा क इ विडम्बना अछि, जे एहि मे बहुत कम लोग छथि जे सृजनात्मक और कलात्मक दुनू काज करए जनैत छथि। ई लोकनि पहिने व्यापारिक सोच ल अबैत छथि। तैयो हमरा इ इच्छा त ज़रूर अछि जे जाहि जगह पर हिंदी आ भोजपुरी सिनेमा अछि ओतए मैथिलि सिनेमा होई।

मैथिली कए ल कए की सब योजना अछि ?
मुंबई शहर मे त मैथिली स कनी दूर छी। मैथिली स जुड़ाव तखने होइत अछि जखन अपना गाम गेलहुँ। बाकि दिल्ली मे “मैलोरंग” मे जाइत छी। बांकि जँ मैथिली मे किछु करबाक मौका भेटत त ज़रूर तैयार छी करबाक लेल।

इ’समाद स गप करबा लेल अहां कए धन्‍यवाद।
प्रकाश जी अहांक आ इसमाद कए सेहो बहुत बहुत धन्‍यवाद।

Tuesday, August 9, 2011

मैथिली फिल्मक विकास यात्रा - अजित कुमार आजाद

31 मइ, 2009। मिथिलाक मानचित्रा पर एखन लगभग एक सय दस टा सिनेमा हॉल अछि। एहिमे ओहि बाँसवला सिनेमा हॉलक गनती नहि अछि जे हाल-फ़िलहालमे मिथिलाक विभिन्न गाम आ हाट-बजार आदिमे बनल अछि किन्तु आश्चर्य! एखन कोनो सिनेमाघरमे मैथिली फिल्मक नहि चलि रहल अछि। पछिला वर्ष अर्थात नवम्बर 2008मे मात्रा किछु दिनक लेल जयनगरक एकटा सिनेमा हॉलमे मनोज झा निर्देशित ‘सुहागिन’ जेना-तेना चलि सकल, सेहो प्रायः एही कारणे जे एहि फिल्मक निर्देशक जयनगरक बसिन्दा छथि। पाया पारक मिथिला अर्थात नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रामे सेहो सिनेमाघरक कमी नहि अछि किन्तु ओतहु हिन्दी अथवा नेपाली फिल्म छोड़ि कोनो मैथिली फिल्म नहि लागल अछि। तात्पर्य ई जे भारत आ नेपाल स्थित दुनू पारक मिथिलाक लगभग 200 सिनेमाघरमे पछिला वर्ष मात्रा एकटा फिल्म लागल आ जे सप्ताहो नहि पूरल कि उतरि गेल। एहि वर्ष एखनध्रि एकहुटा फिल्म रिलीज नहि भेल अछि।

मैथिली फिल्म उद्योग कतेक पानिमे अछि, ई उपरोक्त तथ्यसँ नीक जकाँ स्पष्ट भ’ जाइत अछि। एहि जरल पर नोन तखन आर छिंटा जाइत अछि जखन हमरा लोकनि ई जनैत छी जे मिथिलाक उक्त सिनेमाघर सभमे भोजपुरी फिल्म चारि-चारि सप्ताह धरि चारू शो ‘हाउसपुफल’ जाइत अछि। शंकर टॉकिज, मध्ुबनीमे ‘निरहुआ रिक्शावाला’ सिल्वर जुबली मनेबाक स्थितिमे छल। मनोज तिवारीक ‘ससुरा बड़ा पैसावाला’ सेहो मिथिलाक विभिन्न भागमे खूबे चलल। तात्पर्य ई जे रानी चटर्जी, रिंकू घोष, रवि किशन, दिनेशलाल यादव निरहुआ, मनोज तिवारी आदि कलाकार भोजपुरी भाषी क्षेत्राक तुलनामे मिथिलामे बेसी लोकप्रिय छथि त’ एकर मूल कारण यैह अछि जे हमरा लोकनिक सिनेमाघर हुनका सभक फिल्म लेल सदिखन अजबारल छनि। से किएक? एकर की कारण? मैथिली भाषा एवं संस्कृतिक प्रति हमरा लोकनिक निष्ठा कहीं अलोपित त’ नहि भ’ रहल अछि? आ कि एकर किछु आन कारण अछि?

वर्ष 1932 ई.मे भारतक पहिल सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’क निर्माणक 32 वर्ष बाद शुरू भेल मैथिली फिल्मक इतिहास यद्यपि पैंतालीस वर्ष पुरान अछि किन्तु संकोचक संग ई मानहि पड़त जे मैथिली फिल्म उद्योग एखनहुँ धरि शैशवेवस्थामे अछि। ममता गाबय गीत, कन्यादान, भौजी मायजय बाबा बैजनाथ सन चारि गोट कसल कथा-पटकथा आ गीत-संगीत वला फिल्म सँ ‘स्टार्ट’ लेबय वला मैथिली फिल्मक उद्योग आइध्रि जँ अपन पैर पर ठाढ़ नहि भ’ सकल अछि त’ एकर अनेक कारण भ’ सकैछ। एहि आलेखमे हम पाठक लोकनिके ँ मैथिलीमे अद्यावध् िबनल फिल्म सभक मादे संक्षेपमे जनतब देबय चाहबनि।

वर्ष 1964 ई.मे महंथ मदन मोहन दास, उदयभानु सिंह आ केदारनाथ चौध्रीक संयुक्त प्रयाससँ मैथिली फिल्मक लेल पहिल बेर ‘लाइट, कैमरा, एक्शन’ शब्द गुँजल छल। ‘नैहर भेल मोर सासुर’ नामसँ शुरू भेल मैथिलीक एहि पहिल फिल्मक नाम बादमे कमल नाथ सिंह ठाकुरक कहला पर ‘ममता गाबय गीत’ राखल गेल। एहि फिल्मक प्रोड्यूसरमेसँ एक उपन्यासकार केदारनाथ चौध्रीक अनुसार ‘‘हम 19 सितम्बर, 1963 ई. के ँ कुल सैंतीस हजार टाका ल’ क’ मुम्बइ गेल रही। भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैबो’, जे कि बिहारक पहिल फिल्म सेहो प्रमाणित भेल, क निर्माण आ मैथिली फिल्म ‘ममता गाबय गीत’क निर्माण मुम्बइमे लगभग एकहि संग शुरू भेल मुदा रिलीज भेल पहिने ‘गंगा मैया...’। मैथिलियोमे ममता गाबय गीतसँ पहिने ‘कन्यादान’ रिलीज भेल।’’

‘ममता गाबय गीत’ पिफल्मक किछु शूटिंग भेले छल कि कतिपय कारणसँ आगाँक काज ठमकि गेल। लगभग चौदह वर्ष धरि फिल्म निर्माण सम्बन्ध्ी सभटा काज ठमकल रहल। दोसर चरणमे काज जहिया शुरू भेल, निज ताहि दिन हिन्दी फिल्मक प्रख्यात् अभिनेत्राी नर्गिस दत्तक देहान्त भ’ गेलनि। एहि कारणसँ श्र(ांजलि स्वरूप ओहि दिनक शूटिंग स्थगित क’ देल गेल छल।। एहि बेर पिफल्म निर्माणक बीड़ा उठौने रहथि प्रसि( गीतकार-गायक जोड़ी रवीन्द्र-महेन्द्र आ तत्कालीन आयकर आयुक्त सीताराम झा। सीताराम झा ने सिपर्फ एहि पिफल्मक लेल आर्थिक मदद केलखिन बल्कि हिन्दी पिफल्मक प्रसि( निर्माता-निर्देशक जी.पी. सिप्पीसँ निर्माण सम्बन्ध्ी सहयोग दियेबामे सेहो महत्वपूर्ण भूूमिकाक निर्वाह कएलखिन। हिनका लोकनिक समवेत प्रयाससँ वर्ष 1981मे ई पिफल्म रिलीज भेल। दरभंगाक सोसाइटी सिनेमा हॉलमे ई पिफल्म लगभग डेढ़ महीना चलल जखन कि प्रभात टॉकिज,, कोलकतामे तीन महीना ध्रि हाउसपुफल रहल। रवीन्द्रनाथ ठाकुरक गीत आ श्याम शर्माक संगीतसँ सजल एहि पिफल्मक सभटा गीत खूबे लोकप्रिय भेल। सी. परमानन्द निर्देशित एहि पिफल्मक कैमरामैन रहथि सी. प्रसाद, कला निर्देशक रहथि ललित कुमुद आ शूटिंग प्रभारी रहथि विवेकानन्द झा। एहि पिफल्मक आउटडोर शूटिंग मुम्बइक मुलुन्ड आ कांदिवलीमे तथा इनडोर शूटिंग प्रसि( अभिनेता राजेन्द्र कुमारक डिम्पल स्टूडियो आ सुनील दत्तक अजन्ता स्टूडियोमे भेल छल। एहि पिफल्मक डबिंगमे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, सारिका एवं वैदेही ;दुनू रवीन्दनाथ ठाकुरक पुत्राीद्धक स्वर स्त्राी-पात्राक लेल कएल गेल छल। कलाकार लोकनिमे त्रिदीप कुमार, अजरा, प्यारे मोहन सहाय, प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’, राजेन्द्र झा, शरत चन्द्र मिश्र, आस नारायण मिश्र, प्रभा मिश्र, ललितेश, प्रेम कुमार मिश्र आदिक अभिनय प्रशंसित त’ खूबे भेल मुदा हिनका लोकनिक अभिनय अध्सिंख्य मैथिल नहि देखि सकलाह। एकर एकमात्रा कारण छल प्रिन्टक अभाव। पिफल्मक केवल एकटा प्रिन्ट उपलब्ध् छल जे बेराबेरी एक ठामसँ दोसर ठाम उपलब्ध् कराओल जाइत छल। हाँ, गीतक कैसेट अवश्य लोकसभ लग आसानीसँ पहुँचि गेल छल। मुहुर्त्तसँ रिलीज ध्रि एहि पिफल्मके ँ लगभग 14 वर्ष लागि गेलैक। एही अवध्मिे पफणी मजुमदार निर्देशित ‘कन्यादान’ ममता गाबय गीतसँ पहिने परदा पर उतरबामे बाजी मारि लेलक आ मैथिलीक पहिल प्रदर्शित पिफल्मक तगमा पाबि गेल।

प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’क अनुसार सभ कलाकार एक दिन निर्देशक सी. परमानन्दक आवास पर रूकलाह तथा दोसर दिनसँ हिनका लोकनिके ँ एकटा र्ध्मशालामे ठहराओल गेल। एहि पिफल्मक मादे एकटा विशेष बात ई जे शूटिंगक दौरान कलाकार लोकनि आपसमे मैथिलीमे गप करैत छलाह। एतेक ध्रि जे निर्देशक सेहो मैथिलीमे निर्देश देब’ लागल छलाह। आइ-काल्हि बनयबला मैथिली पिफल्म सभक क्रममे शूटिंग स्थल आदि पर मैथिली बजबामे कलाकार लोकिनके ँ संकोच होइत रहैत छनि। ई बात हमरा लोकनि मैथिली नाटकक रिहर्सल आदिक क्रममे सेहो देखि सकैत छी।

हरिमोहन झाक प्रसि( उपन्यास ‘कन्यादान’ पर आधरित कन्यादान पिफल्मक पटकथा-संवाद प्रसि( साहित्यकार पफणीश्वर नाथ ‘रेणु’ लिखलनि। कलाकार लोकनिमे रहथि तरुण बोस ;रेवती रमणद्ध, लता बोस ;बुच्ची दाइद्ध, चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ ;लाल ककाद्ध, ब्रज किशोर ;झारखंडी नाथद्ध, गीता मुखर्जी आदि। पिफल्मक निर्माता रहथि गया निवासी मुंशी प्रसाद। चर्चित कवि गोपालजी झा ‘गोपेश’क सेहो एहि पिफल्मक निर्माणमे महत्वपूर्ण योगदान छलनि। तेसर पिफल्म ‘भौजी माय’ मूलतः शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायक प्रसि( बांग्ला कथा ‘रामेर सुमति’ पर आधरित एही नामसँ बनल बांग्ला पिफल्मक डबिंग छल। एकर भाषान्तरण प्रसि( कवि-कथाकार सोमदेव कयने रहथि। निर्देशक रहथि शान्तिलाल सोनी। उपरोक्त तीनू पिफल्ममे मैथिलीक साहित्यकार लोकनिक सहयोग स्पष्ट देखाइत अछि किन्तु आम जनताक सहयोग सेहो कम नहि रहल। चारिम पिफल्म ‘जय बाबा बैजनाथ’ तक अबैत-अबैत मिथिलामे मैथिली पिफल्मक लेल अपेक्षित वातावरणक निर्मिति भ’ गेल छल किन्तु अपफसोस जे हमरा लेाकनि एहि वातावरणके ँ दीर्घकाल ध्रि बनाक’ नहि राखि सकलहुँ। जँ से रहैत त’ एकर बाद बनल ‘मध्ुश्रावणी’, ‘ललका पाग’, ‘अमावस के चान’, ‘हमरा लग रहब’, ‘नाच-गान’ सहित दर्जन भरिसँ बेसी पिफल्म आइयो ध्रि डिब्बामे बन्द नहि रहितय।

उपरोक्त पिफल्मक ई नियति किएक भेलµ से प्रायः सभ पिफल्मक अलग-अलग खेड़हा अछि मुदा मुख्य बात मैथिलक आम बेमारी ‘गोलैसी’ अछि जकर शिकार मिथिलाक प्रायः अन्य सभ विध सेहो होइत रहल अछि। मैथिलीमे ने त’ कथा-पटकथाक अभाव अछि आ ने-गीतकार-संगीतकारक। मिथिलाक एकटा गायक उदितनारयण झा एखन देशक सर्वश्रेष्ठ गायक बनल छथि त’ निर्देशकक रूपमे प्रकाश झा, संजय झा, मनीष झाक लोहा सकल संसार मानि रहल अछि। ई बात त’ अन्यो भाषा-भाषी गछैत छथि जे कलाकारक मामिलामे मिथिलासँ बेसी सम्पन्न क्षेत्रा आन नहि अछि। लोकेशनक मामिलामे सेहो मिथिला अन्य कोनो भूखंडसँ दरिद्र नहि अछि। प्राकृतिक सुषमाक मामिला हो अथवा बाढ़ि-सुखाड़क दृश्य, मिथिलामे बारहोमास उपलब्ध् भेटत। हाँ, अबरजातक लेल रस्ता-बाट पर अवश्य प्रश्न उठाओल जा सकैत अछि।

अभिप्रायः ई जे हमरा लोकनि मैथिली पिफल्म उद्योगके ँ अद्यावध् िस्थापित क’ सकैत रही किन्तु अपन अहंमन्यता आ टंगघिच्चा-घिच्चीमे बिचहिमे लसकि गेल छी।

यद्यपि उपरोक्त सभ स्थिति-परिस्थितिक अछैत वर्ष 1999 अनेक तरहे ँ मीलक पाथर साबित भेल। बीसम शताब्दी जाइत-जाइत व्यवसायिक रूपसँ एकटा एहन सपफलतम मैथिली पिफल्म द’ गेल जे सभटा मिथ्या धरणा-अवधरणाके ँ स्वाहा करैत लैम्प-पोस्ट बनि गेल। मुरलीध्र निर्देशित बालकृष्ण झाक मामूली बजटक पिफल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’ लोकप्रियताक सभ रिकॉर्ड ध्वस्त क’ देलक। ललितेश, रीना, रूबी अरुण अभिनीत ई पिफल्म चारि करोड़सँ बेसी रुपया कमौलक। यद्यपि एहि सपफलताके ँ सेहो हमरा लोकनि आगाँ भजा नहि सकलहुँ तथापि 2000 ई.मे प्रदर्शित पिफल्म ‘आउ पिया हमर नगरी’ घाटामे नहि रहल। कहल जाइत अछि जे एकर निर्देशक रहथि मुरलीध्र मुदा बादमे एकर निर्माता मणिकान्त मिश्र निर्देशकक रूपमे अपन नाम जोड़ि लेलनि। उक्त दुनू पिफल्मक शूटिंग मिथिलेमे भेल छल आ परदा पर भव्यतामे कोनहु कोनसँ कम नहि बुझना गेल।

2001मे दू टा वीडियो पिफल्म बनल आ व्यवसायिक दृष्टिकोणसँ दुनू असपफल रहल। गोपाल पाठक निर्देशित ‘ममता’ जतय रमेश रंजन, प्रवेश मल्लिक, संजीव आदिक अभिनयक बले ँ कहुना एक सप्ताह ध्रि चलि सकल ओतहि राजीव गौतम निर्देशित ‘सपना भेल सोहाग’ एतबो दिन नहि खेप सकल। वीडियो पिफल्म निर्माण यद्यपि अन्य माध्यमक अपेक्षा सस्ता छैक किन्तु मिथिलामे वीडियो हॉलक अनुपलब्ध्ता आ एहि तरहक पिफल्मक लेल अपेक्षित मानसक अभाव छैक। उक्त दुनू वीडियो पिफल्मक असपफलताक एकटा कारण एकर कमजोर पिफल्मांकन आ प्रचार-प्रसारमे अभाव सेहो छल।

वर्ष 2004मे निर्माता बालकृष्ण झा अपन दोसर पिफल्म ‘सेनूरक लाज’ ल’ क’ अपन पहिल पिफल्म ‘सस्ता जिनगी महग सेनूर’क सपफलताके ँ दोहराब’ चाहलनि किन्तु ई राजकमल चौध्रीक चर्चित कथा ‘ललका पाग’क पैरोडी संस्करण प्रमाणित भ’ क’ रहि गेल। निर्देशक विनीत यादव एहि पिफल्मके ँ कोनो कोनसँ नहि सम्हारि सकलाह। समुचित प्रकाशक अभावसँ पिफल्म बहुत सापफ नहि देखाइत अछि। महिला दर्शकके ँ रिझेबामे यद्यपि ई पिफल्म सपफल रहल किन्तु अपन घाटाके ँ नहि पाटि सकल।

2005मे आयल ‘कखन हरब दुख मोर’क प्रचार-प्रसारमे कमी नहि कएल गेल किन्तु सिनेमा घरक टिकट खिड़की पर भीड़ नहि जुटि सकल। निर्माता संजय राय आ निर्देशक संतोष बादलके ँ बादमे टी. सीरीजक सहयोगसँ बजारमे एहि पिफल्मक सीडी उतार’ पड़लनि जकर रिकार्ड-तोड़ बिक्री भेल। एही वर्ष निर्देशक अभिजीत सिंहक ‘दुलरूआ बाबू’ सेहो प्रदर्शित भेल किन्तु कमजोर पटकथाक कारणे असपफल भ’ गेल।

वर्ष 2006मे पेफर दू टा वीडियो पिफल्म बनल आ दुनू मुहें भरे खसल। मनोज झा निर्देशित ‘गरीबक बेटी’ आ गोपाल पाठक निर्देशित ‘अहाँ छी हमरा लेल’ सपफलताक कोनो नव अध्याय नहि लिखि सकल। कहि सकैत छी जे असपफलता आइधरि मैथिली पिफल्मक सपफलताके ँ गछारने अछि। हाँ, ‘गरीबक बेटी’मे अनिल मिश्राक अभिनय प्रभावकारी छल।

2007मे सुहागिनक निर्माण आरम्भ भेल जकरा मादे हम पहिनहि कहि चुकल छी जे ई पिफल्म एक सालक निर्माण-यात्राक बाद नवम्बर 2008मे सिनेमाहॉलसँ किछुए दिनमे उतरि गेल।

वर्ष 2008मे निर्माणाध्ीन पिफल्मक श्रेणीमे चारि टा पिफल्म छल जाहिमे एक चुटकी सिन्दूर, काजर, किसलय कृष्णक निर्देशनमे बनय जा रहल ‘हम्मर अप्पन गाम अप्पन लोक’ आ सूरज तिवारी निर्देशित ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ शामिल अछि। जनतबक अनुसार, अजित कुमार आजादक पटकथा पर बनय जा रहल ‘हमर अप्पन गाम अप्पन लोक’ वर्ष 2009 मे इन्द्रपूजाक अवसर पर रिलीज कएल जायत जखन कि प्रोड्यूसर जितेन्द्र झाक ‘पिया संग प्रीत कोना हम करबै’ दुर्गापूजामे। एखन धरि त’ कोनो एक वर्षमे चारिटा मैथिली पिफल्म एक संगे नहिये रिलीज भेल अछि। ओना, पहिनेक तुलनामे स्थिति बदललैक अछि। देखा-चाही जे एहि बदलल स्थितिक लाभ पिफल्म निर्माणसँ जुड़ल लोकसभ कोन तरहे ँ उठा पबैत छथि। मिथिलाक दर्शक आब मैथिलीमे नीक पिफल्म देखय चाहैत छथि तकर अनुमान कैसेट-सीडीक बिक्रीसँ त’ लगाओले जा सकैत अछि।

मिथिला दर्शन, कोलकाता मे 2009 प्रकाशितद्ध सम्पर्क: 21, एम.आइ.जी., हनुमान नगर पटना-20, मो.-09234942661