Sunday, May 5, 2013

Satyendra Jha : A Brilliant Actor and Writer





मैथिली, हिन्दीमें रचना करैत साहित्य साधनामें लागल, मैथिली फ़िल्म ' पीरितियासं अपन फ़िल्मी कैरियर प्रारंभ करय बला उत्साही कलाकार सत्येन्द्र जीसं भास्कर झाक संगे भेल गप्प-शप्पक किछु अंश :

सर्वप्रथम अहां अपन प्रारंभिक जीनगी, शिक्षा-दीक्षाक बारेमें किछु बताबी।

मूलरुपसं हम मधुबनीके रहनिहार छी, मुदा सम्प्रति दरंभंगाके कर्मभूमि बनौने छी। मैथिली साहित्यमें एमए केलाक बाद हम एखन पीचडी कए रहल छी। हमर शोधक विषय अछि- आधुनिक मैथिली नाटकमें महेन्द्र मलंगियाक योगदान: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन । एकर अलावे एखन हम मास कम्यूनिकेशन तथा जर्नलिज्ममें पीजी डिप्लोमा सेहो कए रहल छी। दरभंगा रेडियो स्टेशनक लेखा विभागमें कार्यरत छी। वर्ष 2007में हमर लघकथाक एकटा पोथी अहीं के कहै छीप्रकाशित भेल अछि।

अहांक अभिनय दिस कोना आ कहिया रुझान भेल ? अभिनय करयके प्रेरणा कतय सं भेटल ?

हमर बाबू जी अमर चन्द्र झा, गयामें छलाह आ 5 कक्षा धरि ओहि ठाम हमर पढा लिखा भे। बाबू जी ओतय प्रोफ़ेशनल नाटक करैत छलाह । कालानतर में बाबू जी बम्बई चलि गेलाह आ किछु संघर्षक बाद ओ अनतः हिन्दी सिनेमामें सहायक निर्देशक के रुपमें काज करय लगलाह । केदार नाथ शर्मा, धीरु भाई देशाई, नाना भाई भट्ट (महेश भट्टक पिताजी) आदि संग लगभग 22 गोट हिन्दी आ 1टा गुजराती फ़िल्म केलाह। एहि प्रकारे अपन घरक फ़िल्मी वातावरण आओर फ़िल्मानुरागी पिताक गहीर प्रभाव हमरा पर पड़ल। बादमें अपन अभिनयके निखारबाक लेल हम रंगमंच सं जुड़ि काज करय लगलहुं।

हांक बाबूजी कोन कोन हिन्दी फ़िल्ममें सहायक निर्देशक रहैथ, किछु बता सकैत छी?

हुनक प्रमुख फ़िल्ममें "संत ज्ञानेश्वर", "महासती अनुसूया", " स्पाय इन रोम", "चोर दरबाजा", फ़्लाईंग मैन", "सेजल सुमुरो" (गुजराती) किशोर साहूक संग " नया मंदिर", नाना भाई भट्ट संग 'मशाल'आदि किछु नाम अछि।

अहांक पहिल फ़िल्म छल श्याम भास्कर द्वारा निर्देशित मैथिली फ़िल्मपीरितिया। ई फ़िल्म अहांके कोना भेटल छल ?

श्याम भास्कर जी प्रयोगधर्मी लेखक आ निर्देशक छैथ जे सदिखन मैथिली सिनेमाक प्रति गंभीर चिन्तनमें लागल रहैत छैथ ।ओ हमरा कथाकार आ कविके रुपमें पहिने सं चिन्हैत छलाह, मुदा जखन कास्टिंग कएल गेलई ट ओ हमरा एकटा भूमिका देलनि, रंनिंग रोल छलै। शूटिंग समाप्त भेलाक बाद हम श्याम भैयासं डेरायत डेरायत पुछलियेन जे हमर काज केहन लागल ? ओ कहलाह जे हम अहाकें रोल दयके कोनो गलती नहिं केलहुं। हुनक उत्साहपूर्ण बोल हमर कानमें जेना मिसरी घोरि देने होय, जेना बुझायल। एहि सं हमर उत्साह बनल रहल आ अभिनयक क्षेत्रमें आगू बढबाक प्रेरणा सेहो भेटल।

एखन धरि कोन कोन फ़िल्म एवं सीरीयलमें अभिनय केने छी ?

जेना हम कहि चुकल छी, हमर पहिल फ़िल्म छल पीरितिया। तकरा बाद अभिजीत सिंहक दुलरुआ बाबू”, विजय कुमारक हिन्दी टेलीफ़िल्म श्यामा दर्शन”, सौभाग्य मिथिलाल लेल श्याम भास्कर द्वारा निर्देशित सीरियल डॉ टोपीबाला”, लाइफ़ ओके पर प्रसारित सावधान इन्डिया”, रवि खान्डेलवाल निर्देशित लघु मैथिली फ़िल्म कोखि”, श्याम भास्करक फ़ेर हेतई भोरआदिमें अभिनय केने छी। उदय राज द्वारा निर्देशित मैथिली फ़िल्म घोघमें चांदजल्दिये रिलीज होयत।

फ़ेर हेतई भोरकेर मूल कथ्य की थीक ? किछु बताबी ।


एहि फ़िल्मक कथा राजनैतिक जीवनमें आयल स्खलनक परित: घुमैत अछि, जाहिमें सत्ताक क्रूरता आ निरंकुशताक दर्शन होयत अछि। फ़िल्मक नायक अपन स्वार्थसिद्धिक लेल कृत्य-कुकृत्यक मध्य कोनो अन्तर नहिं करैत छैथ । हुनका लेल सत्ता मात्र हितपोषणक पर्याय थीक। एहि फ़िल्मक विषय-वस्तु मैथिली सिनेमाक दर्शक लेल नव अछि। मैथिली में यथार्थवादी सिनेमाक घोर अभाव अछि। आशा करैत छी जे फ़ेर हेतई भोरसं यथार्थवादी सिनेमाक आरंभ होयत । एकटा आओर खास बात। एहि फ़िल्ममें कोनो गीतक प्रयोग नहिं अछि।

बड्ड नीक ! अहां कोन कोन मैथिल अभिनेतासं प्रभावित छी ?

रवि खंडेलवाल, राजीव सिंह, अनिल मिश्रा, मुरलीधर जी आदि किछु गोटे छैथ जिनकर अभिनय सं हम बेसी प्रभावित छी। ई लॊकनि सम्पूर्ण कलाकार छैथ ! आ हमहु एकटा नीक कलाकार बनबाक प्रयास कए रहल छी। एहि लेल हमरा एकहन बड्ड काज करबाक अछि। आब आगू देखियौ की होयत अछि।

अहांक हिसाबे मैथिली फ़िल्मके मिथिलामें लोकप्रिय नहिं होमयके पाछु की की कारण अछि ?

हमरा जनतवे नीक कथाक अभाव, दक्षता व कुशलता सं तैयार पटकथाक अभाव, निर्देशक-निर्माता द्वारा आर्टिस्टक ड्रेस, मेक-अप सबमें समझौता, आ कहानीमें समय सं पाछू चलबाक सोच जड़ियायल छै। ओना हमरा बुझने जाबत तक प्रदर्शन व्यवस्था नहिं सुधरत, ता धरि माय्थिली सिनेमाक प्रगति बाधित होयत रहत। अनेको फ़िल्म त लेपटोपेमें रहि जायत अछि। दोसर अहम कारण, प्रोफ़ेशनल डायरेक्टरक घोर अभाव अछि मैथिलीमें, ओना आई काल्हि निर्देशक बनबाक होड़ लागि गेल अछि।

मैथिली सिनेमाक भविष्य अहां किनक किनकर हाथमें उज्जवल देख रहल छी ?

मुरलीधर जी, अभिजीत सिंह, श्याम भास्कर, उदय राज आदि किछु निर्देशक छैथ जे जदि नियमित रुपे फ़िल्म बनाबैथ त नीक संभावना बनत। आजुक समयमें मैथिली सिनेमाके लगातार हीट फ़िल्मक आवश्यकता छै। मनोज श्रीपति जी सेहो कुशल निर्देशक छैथ। हिनको पर मैथिली सिनेमा बहुत निर्भर अछि।

हमेशा ई आरोप लगायल जा रहल अछि जे मैथिली फ़िल्मके रीलिज करबाक लेल , प्रदर्शित करबाक लेल हॉल नहिं भेटैत अछि। से की कारण ?

एहि बारेमें हम विशेष त नहिं कहब कियेक तS हम प्रोडक्शन सं कनियो नहिं जुड़ल छी, मुदा जेना सुनै छीयै जे आन क्षेत्रीय भाषाक एजेन्ट सं किछु बाधा उत्पन्न करैत छैथ 

सत्येन्द्र जी अतेक समय देबै लेल अहांके बहुत बहुत धन्यवाद!

धन्यवाद, भास्कर जी । 
सावधान इन्डियामें सत्येन्द्र जी

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