Saturday, June 29, 2013

Pravesh Mallick : The Young Talent From Mithila




मैथिली संगीतक क्षेत्रमें अद्वितीय प्रतिभाक संग बहुत कम समयान्तरालमें अनेकानेक फ़िल्म आ एलबम संगीतसं चर्चित युवा संगीतकार प्रवेश मल्लिक मूलत: मधुबनी जिलान्तर्गत खजौली प्रखंड केर कन्हौली (मल्लिक टोल) केर निवासी छथि आ आब स्थायी रुपसं जनकपुरधाम (नेपालक मिथिला)में सपरिवार डीही भS गेल छथि। हुनका संग साम्प्रतिक मैथिलीक उभड़ैत गीतकार मनीष झा “बौआभाई” केर दिल्लीमें भेल भेंटवार्ताक आओर हुनक व्यक्तिगत अनुभवक किछु अंश :

प्रवेश जी, सर्वप्रथम अपनेंक पारिवारिक पृष्ठभूमिसं अवगत होमय चाहब ।
हम पारिवारिक पृष्ठभूमि कोनो विशेष नहिं; हम एकटा सामान्य परिवारसं संबंध रखैत छी । हमर बाबूजी श्री कामेश्वर मल्लिक (अवकाश प्राप्त) शिक्षक छथि। हम सात भाय-बहिन मने दू बहिन आ पांच भाय छी जाहिमें हम चारिम छी। सबसं जेठ भाय सुनिल मल्लिक (शिक्षा विभागके निदेशक) मैथिली संगीतक क्षेत्रमें ख्यातिप्राप्त नाम छथि। दोसर, शैलेन्द्र मल्लिक शिक्षक छथि, तेसर रमेश  मल्लिक तबला वादनके क्षेत्रमें लोकप्रिय छथि आ सबसS छोट छथि अमरेश मल्लिक जेकि साउन्ड रेकॉर्डिंग ईंजीनियर छथि।

अपन शैक्षिक पॄष्ठभूमिक जानकारी सेहो देल जाउ ।
जनकपुर सS 10+2 (आईएससी )कएलाके बाद हम मेडिकलके तैयारीमें लागि गेलहुं जकर इन्ट्रेंस निकलबो कयल ता धरि एम्हर संगीतमें अभिरुचि रहबे करय एक दू टा ऎलबम हीट कS गेल मनोबल आर बेसी बधि गेल । पुन: हम  जनकपुर सS दिल्ली आबि गेलौं आ गंधर्व महाविद्यालयसं शास्त्रीय संगीतक शिक्षा लेमय लगलहुं जाहिमें एकटा पैघ उपलब्धि ई भेल जे पं श्री मधुप मुदगल जीक सान्निध्यता प्राप्त भेल । तकर बाद दिल्ली विश्वविद्यालयसं गायनमें संगीत शिरोमणि (समानान्तर स्नातक/ स्नातक केर समकक्ष)के डिग्री प्राप्त केलहुं । एमहर एकटा प्रोफ़ेशनल डिग्री बीआईटी (BIT) सेहो लेलहुं ।

व्यावसायिक शिक्षा रहितो गीत-संगीतके अपन कैरियरके रुपमें चयनमें कतेक जोखिम बुझना जायत छल ?
निश्चितरुपे जोखिम त छै आ हमहुं तऐं एकटा विकल्प लS S बीआईटी कS लेने रही जे जऊं एमहर ने तS ओमहर तS निश्चिते, मुदा हमरा संह हमर आत्मविश्वास सदति संग देलक, कारण जे परिवारमें पूर्वहिसं सांगितिक परिवेश छल आ कम समयमें एलबमके माध्यमे लोकप्रियता बेसी भेटय लागल तैं लS S आब ई जोखिम नै दिनचर्या बुझना जायछ। संगीतक शिक्षा सेहो सार्थक भ गेल, कारण जे ज्ञानार्जन संग संग अर्थोपार्जनमें सहयोगी जेनाकि एकटा निजी विद्यालयमें संगीत शिक्षकके रुपमें सेहो छलहुं, हालाकि एखनो किछु दिन पूर्व त्यागअत्र दआब मुम्बई दिस जा रहल छी।

अर्थोपार्जनके एहि आकाशीय वृत्तिसं बेसी संतुष्ट छी आ कि बान्हल महिनवारी दरमाहा सं बेसी छलहुं? कारण जे पारिवारिक दायित्व बढला उत्तर आर्थिक सामंजस बैसबS में बेसी असोकर्ज होयत छैक।
हम आकाशीय वृत्तिसं बेसी संतुष्ट छी ,कारण जे ई हमर कर्मक्षेत्र अछि आ पन कर्मक्षेत्रमें नव नव सृजनके लेल स्वतंत्रता परमावश्यक छैक जे कि हमरा चाही छल कारण जे हम एखन ओहि उमेर सS गुजरि रहल छी जे अपन अभिरुचि के हिसाबे नव सृजन करैत रही । बान्हल महिनवारी दरमाहा सं निश्चितरुपे आर्थिक सामंजस बैसबS में कने सहूलियत होयत छैक , मुदा सृजनताक सीमा आ समय दूनू निर्धारित भ जाइत छैक ने एहि समय सीमामें बान्हल रहू जे कि हमरा वास्ते दुष्कर छल।

पारिवारिक सहयोग अभिभावकसs s s अर्धांगिनी तक कोन रुपे भेटि रहल अछि ?
हम पहिनहिं चर्च केलहुं अछि जे हमर परिवारमें शिक्षा आ संगीतक वातावरण रहल अछि, कारण जे हमर बाबा स्व. मुसद्दीलाल मल्लिक बहुत नीक तबला बजबैत छलाह, बाबू जी नीक गायक छलाह, बड़का भैया सुनील मल्लिक संगीतक क्षेत्रमें एकटा स्थापित नाम छथि आ हमरा लेल हमर आदर्श इएह छथि तS कहियो कोनो विरोधाभास भेबे नहिं कएल। रहल बात अर्धांगिनी कें तS हमर जे किछु सोच छल तकरा सार्थक करबा लेल ततपर रहैत छथि मने ई बूझू ने जे हमर बिसरल सपना पूरा करबा लेल पूर्ण सहयोग द रहल छथि ।

संगीतमें एतेक बेसी मगन (समर्पित) देखि सामाजिक प्रतिक्रिया कोन रुपे भेटैत छल आ आब कोन रुपे भेटैत अछि ?

बहुत बढिया प्रश्न केलहुं। सामाजिक प्रतिक्रिया आब सकारात्मक भेटैत अछि आर समाजक ओही व्यक्ति सभ सS सकारात्मक भेटैत अछि जेकि पहिले नकारात्मक करैत छलाह, कारण जे ओ देखै छलाह जे ई पूरा परिवारे एहि कार्यमें लागि गेल छैक ताहि लS S हमरा सS बेसी हुनके सभकें हमर कैरियरके चिन्ता रहैत छलन्हि। ओना जौं देखल जाए तS कोनो भी महत्वाकांक्षी व्यक्तिके मार्ग प्रशस्त करयमें एहेन व्यक्तिकें हाथ होयत छैक तैं नकारात्मक प्रतिक्रियाके सकारात्मक रुपमें लेबाक चाही।

आधुनिक संगीत सs समाज कोन रुपे प्रभावित भs रहल अछि ? मैथिली भाखा जतs अपन मिठास लss सर्वविदित अछि तेहेन ठाम एहिमें विकृतता बढल जा रहल स्थितिंमें अहां की कहब ?

हमर इएह कहब अछि जे प्राय: सभ क्षेत्रमें नायक आ खलनायक होइत छैक नीक आ बेजाए होइत छैक आ जौं से नहिं हेतैक तS लोक तुलना कोना करतै ? मुदा डर एहि बातके अछि जे अपन मैथिलीमें किछुए प्रतिशत गीत एहेन हेतै जे कि भोजपुरी गीत जेकां अश्लीललताक सीमा तक हैत जखनकि भोजपुरी गीतके राष्ट्रीय स्तर पर अनबा लेल रफ़ी साहब सन शीर्षस्तरीय कलाकारक योगदानके धूमिल करैत एखन किछु नवसिखुआ कलाकार सभ कम समयमें बेसी लोकप्रियतता पाबय लेल अश्लील सS अश्लील गीत परसि रहल अछि। बस, मात्र एतबे डर अछि जे मैथिली ओहि सप्रभावित भS अपन मिठास नैं हेरा लियै !

संगीतकारक दृष्टिकोणे जs देखल जाय तगीतक शब्दक चयन केर आधार की हेबाक चाही ?
गीतक बहुत प्रकृति होइत छैक। जS एहि आधार पर देखबाय तS सर्वप्रथम ओ विषय वस्तु केर संग मिलान होय, सबके बुझबामें आ सुनबामें आसान होय, लयमें होय आ साहित्य होइतहु एकटा एहेन शबक समावेश होइ जे नै तS ककरो बुझबामें दिक्कत होइ आ आन आन गीत सS अलग कोनो नव-नव शब्दक प्रयोग होइ।

एखन धरिक उपलब्धिमें किछु एलबम आ किछु फ़िल्मके नाम ससेहो ज्ञात करा देल जाउ।

एलबम रहय- गीत घर घर के, छौड़ा तोरा बज्जर खसतौ, हमर धकधकी बढैइयै, लेहुआयल आंचर, चुनौती, खोंता सिंगार आर बहुत रास । तकरा बाद फ़िल्म रहय- आशीर्वाद, मुखियाजी, छूटत नहिं प्रेमक रंग, आर फ़िल्म सब लेल एखन कार्य कS रहल छी।

फ़िल्मी संगीत सs s s एलबम संगीत धरि दुनूमें अहांक समान हस्तक्षेप अछि, तैं अहां अपन अनुभवक आधार पर ई कहू जे संगीतक दृष्टिकोणसं एहि दुनूमें की फ़र्क छैक ?

 फ़िल्मी संगीतमें एकटा  सीमा निर्धारित होइ छै, जकरा दायरामें रहैत अपन सोचके तालमेल बैसबS पड़ैत छैक। माने ई जे कहानीके संग संगीतके स्वरबद्ध केनाइ एकटा दायरा होयत छैक ओतहि एलबम संगीतमें एकर विपरित होइ छै। माने गीत पहिने होइ छै आ तकरा आधार पर कहानी अर्थात फ़िल्मी संगीत कहानीके आधार पर जहन कि एलबम संगीत आधार पर कहानी निर्धारित होइत छैक।

प्रवेश मल्लिक युवा संगीतकारके संगे प्रयोगधर्मिताके लेल सेहो जानल जाइत छथि। आधुनिक गीतके वास्ते तS उचिते मुदा पारम्परिक गीतमें सेहो नव प्रयोग देखबामें अबैत अछि। एहेनमें गुणी आ पारखी श्रोताके केहेन प्रतिक्रिया भेटैत अछि ?

हमर सबसS पहिल उद्देश्य ई रहैत अछि जे हमर भाखा मैथिलीके  अधिक सS अधिक लोकक बीच प्रसार होए। नव प्रयोग हम जरुर केलहुं अछि। मुदा एक मर्यादाके निर्वाह करैत जेनाकि विद्यापति जीक कतेको रचनाके संग- संग गोपीचन्द,राजा सलहेस, लोरिक आदि आदि सS संबंधित रचनामें किछु नव करबाक प्रयास रहल जे कि सफ़ल सेहो रहल। हं ! हमरा एक-दू ठाम एहि तरहक प्रश्नक जवाब सेहो देमय परल अछि जे अहां पारम्परिक गीत संग छेड़छाड़ कियै करैत छियै ? हमर जवाब रहय जे जहन  हम कार्यक्रम करय वा देखय जाइ छी तS पारंपरिक गीतक आनन्द बुजुर्ग लोकनि तलैत छथि मुदा युवा लोकनि अपनामें कनफ़ूसकी करS  लगता जे हइए लिएS गेलहे गीट ! श्रीमान आब महाकवि विद्यापतिके गीतक राग अलापता । एहि सब बात सS कष्ट होए जे देखियौ हमर पारम्परिक संगीत आ सभ्यता ऎतेक धनी अछि मुदा हिनका लोकनिक हिसाबे ई डिस्को आ पॉपके आगां तुच्छ बुझइ छन्हि। तैं हम एकर मौलिकताके बरकरार रखैत संगीत पक्ष सS  नव प्रयोग केलहुं जे हिनका लॊकनिककें पसीन एलन्हि आ हमर वास्तविक उद्देश्यक पूर्ति भS रहल अछि जे बूढ सS  लS s नेना धरि एकरा चाव सS सुनैत छथि ।

संगीतकारके एक नव धुनक सृजनकर्ताक रुपमें जानल जाइत अछि मुदा नान्हियेटा एकटा बात मोनमें घुरियाइत अछि जे जहन गीतक शब्द नवका गायक/ गायिका नव तहन संगीतक धुन कियैक ने नव ? जौं धुन अछि गीतक तर्जे पर (पैरोडी) तS ओ संगीत निर्देशक कोना ? हुनक नाम संगीतकारक श्रेणीमें राखब कतेक उचित ?

एकर सबसS पैघ कारण जे संगीतक शिक्षाके अभाव। अपन  संगीतके अपन संस्कृतिके सेहो नीक जेकां नहिं चिन्हि पौलन्हि अछि। जहन पैरोडीये करयके अछि तS  अपन लोक संगीतक पारम्परिक धुनकें आगू बढाऊ ने।  उदारहणके लेल जS विवाहे केर गीत छैक तS ओहीमें ततेक प्रकारक धुन छै जे अहां कतबहु धुन बनेबाय तS ओ अथाह छै, मुदा से नै कS कोनो फ़िल्मी गीतक धुन उठा कS ओहि पर गीत सेट कS देलहुं आ आब तS  ऎहेन स्थिति भS गेल छै जे कि कोनो दोसर भाषाक म्यूजिक हिट केलक कि चट दS ओकर नकल करैत मैथिलीके गीत गाबि हिट भS गेला । मुदा ई नैं जे मैथिलीके सेहो एहेन धुन बनाबी जे कोना आन भाषा बला हमर नकल करय ।

कम समयांतरालमें बेसी उपलब्धि उतरोत्तर उन्नतिक द्योतक अछि। अहांक लगन जहिना अन मात्रृभाषाक प्रति समर्पित देखबामें आबि रहल अछि तS स्वभाविक अछि जे राष्ट्रीय पहिचान बनबS लेल सेहो डेग बढि रहल होयत । राष्ट्रीय/ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर अर ख्याति अर्जित करबाक क्रममें अपन मात्रॄभाषा केर योगदानकें कोन मोन राखब ?

सबसS पहिल बात तS ई जे हम जतS पहुंचि गेलौं बुझू मैथिली ओतS पहुंचि गेल, कियैकी हम मैथिलीए के सेवा कS S एततक पहुंचलहुं अछि । चाहे हम कोनो भी भाषा लS S ख्याति राप्त कS ली मुदा मैथिली हमर प्राथमिकता रहत आ अपन भाषा के वास्ते काज करबामें बेसी गौरवान्वित हएब आ आर बेसी जोशक संग काज करब ।

कोनो एहेन नव शोधरत कार्य सोचने छी आ जौं सोचने छी तS केहेन ? ओहिमें अपन समाज आ प्रशंसककें केहेन अपेक्षा रखैत छी ?

हमर एकटा बड्ड पैघ सपना अछि जे विद्यापतिक योगदान जे मैथिली भाषाके वास्ते रहलन्हि ताहि विद्यापतिक नाम जेना सीमित मात्र अछि । तैं हम चाहै छी जे हुनक रचना नहिं मात्र मैथिल समाज धरि सीमित रहैक अपितु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़यमें सफ़ल रहय ।एहि तरहक कार्यके लेल प्रशंसकक संग तS चाहबे करी संगहि समाजक ओहेन प्रत्येक व्यक्तिके मदति केर आश रखाय छी जे तन-मन-धनक संग हमर एहि सपनामें सहभागी बनथि ।

नवतुरिया लोकनिक वास्ते की सनेश देमय चाहब ?

 हम अनुभव सS इएह कहबन्हि जे जौं गायक छथि तS अपन लोक संगीतके बेसी सS बेसी गाबथि। जौं लेख़क छथि तS बेसी सS बेसी जानथि, पढथि आ जौं संगीतकार बनय चाहै छथि तS विधिवत शिक्षा कोनो नीक गुरु सS लेथि। रास्ता फ़ूजल छैक अपन योग्यतानुसारे आगां बढथि ।

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