| कवि, नाटककार आ निर्देशक कुणाल | 
मैथिली रंगमंचक प्रख्यात निर्देशक, नाटककार आर कवि कुणाल जीक मूल नाम थीक- शिव नारायण झा। सन 1951 में मधुबनी जिला अंतर्गत पालीमोहन में हिनकर जन्म भेल छल। शैक्षणिक रुप में विज्ञान में स्नातक कुणाल जी बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्वक धनी छैथ आ मां मैथिली के सेवा में अपने आप के रमा लेने छथि। कवि के रुप में कुणाल जीक महत्वपूर्ण रचना में “ मीताक नाम”(1982 में प्रकाशित मैथिली काव्य संग्रह), “समय संदर्भ”(अंतिका में प्रकाशित पैघ कविताक संग्रह) उल्लेखनीय अछि। संगहि, कुणाल जीक प्राय 100 से बेसी मैथिली कविता विभिन्न पत्र-पत्रिका में प्रकाशित भेल अछि। कुणाल जी रेडियो आ दूरदर्शन पर कतेको रासे कवि सम्मेलन में भाग लेने आ कविता पाठ केने छथि । कविताके अतिरिक्त, विभिन्न पत्रिका में कुणाल जीक दू दरजन सं बेसी विहिनी कथा (लघु कथा)क प्रकाशन भेल अछि।
नाटककार के रुप में कुणालजीक प्रसिद्ध मैथिली नाट्यकृति में “ चेतनाक स्वर” (लोक-वेद पत्रिका में प्रकाशित), “चालिस चोर आ गोनू झा उर्फ़ ज्ञान झाक खिस्सा” (गोनू झाक खिस्सा पर मैथिली नाटक, भंगिमा में प्रकाशित) , “कुसुम सलहेस”( लोक महाकाव्य राजा सलहेस पर आधारित नाटक, अंतिका में प्रकाशित),”विदापत” (वहुविख्यात महाकवि विद्यापतिक जीवन आ कृति पर आधारित विदापत शैलीक नाटक, अंतिका में प्रकाशित), “चरित सुखांत” (महाभारत के उप-पाठ्य में उद्धृत चारिटा दृढ़ निश्चयी आ इच्छा-शक्तिशाली चारिटा नारि पर चारिटा नाटकक संग्रह, “मिथिला दर्शन” में प्रकाशित), “घोघो रानी”(बाल नाटक, “जखन तखन” में प्रकाशित)। अनेकानेक पत्रिकामें कुणाल जीक लगभग एक दर्जन लघु नाटक आ रेडियो नाटक प्रकाशित भेल अछि।
| गोनू झा नाटकक मनोरम दॄश्य | 
कुणाल जी के हिन्दी में नाटक लिखबाक श्रेय सेहो प्राप्त छनि। हिन्दी नाटक में “ बर्बरीक उवाच” (भीम-हीडिम्बा पुत्र बर्बरीकक पौराणिक कथा पर आधारित आधुनिक नाटक), ‘वैशाली (आम्रपालीके समयक इतिहास पर आधारित नाटक)’, “श्वेता” (इच्छाधारी नागक कथा पर आधारित संगीत नाटक), “चलो एक बार फ़िर से” ( नर-नारी सह संबंध तथा जीवन-क्षणक महत्व पर नाटक) आदि किछु नाम अछि।
नाटक (रुपान्तरण, मैथिली) में “रुक्मिणी हरण” (1990 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित जोनल थियेटर में प्रस्तुतीकरण लेल पं गोबिन्द झाक नाटक के किर्तनिया फ़ॉरमेट में रुपांतरित), ‘सीतायण’ (सोमदेव जी द्वारा लिखित नाटक के किर्तनिया फ़ॉरमेट में रुपांतरित), “लोरिकायन” (कुमार शैलेन्द्र जी द्वारा लिखित लोक-काव्य लोरिक पर आधारित नाटक के किरतनिया फ़ॉरमेट में रुपान्तरित), “ परिजात हरण” (आजुक समयक संवेदनाक संग रुपान्तरित उमापति (15वीं शताब्दीक) केर किरतनिया नाटक) किछु नाम अछि।
मैथिली थियेटर में कुणाल जीक अवदान 
कुणाल जी 1975में कोलकाता (तहिया कलकत्ता) सं अपन रंगकर्मी जीवनक प्रारंभ करैत लगभग दू दर्जन नाटकक निर्देशन केने छथि।मैथिली में “चैम्बर नाटक” नामक एकटा सुन्दर नाट्य प्रस्तुति के जन्म देबके श्रेय कुणाल जीके छनि आ अहि श्रॄंखला के लेल प्राय: 12टा स्क्रिप्ट लिखने छलाह आ अही सिरीज में 200सं बेसी शो कायल गेल।
| "परिजात हरण"क सुन्दर दृष्य | 
कुणाल जी मिथिला के प्रसिद्ध किर्तनिया नाटक (14वीं शताब्दी के प्रारंभ सं 19वी शदी के मध्य तक) के पुनरुद्धार करैत अहि नाट्य रुप के प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक रुप में स्थापित करैत नीक जका स्थापित केलनि अछि। बिहार के थियेटर फ़ॉर्म आर थियेटर के लोक फ़ॉर्म पर कुणाल जीक खूब नीक अध्ययन आ सुन्दर प्रयोग अछि। अनेकानेक प्रशिक्षु के 1995 सं थियेटर आ किर्तनिया शैली के नाट्य- अभिनय आर आम थियेटर पर प्रशिक्षण दय रहल छैथ जाहिमें सं कतेको गोटे के प्रशिक्षण के लेल भारत सरकर के दिस सं स्कॉलरशिप भेटल छनि। मई 1995 में संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा MCPA, मुम्बई में आयोजित थियेटर निर्देशक वर्कशॉप के लेळ हिनकर चुनाव कायल गेल छलनि। कुणाल जी बिहार शिक्षा परियोजना, संगीत नाटक अकादमी, इप्टा, सांगीत आ नाटक प्रभाग, भारत सरकार आ अन्य द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशाला में “रिसॉर्स पर्शन”(एक्सपर्ट) छैथ।
| "परिजात हरण"क सुन्दर दृष्य | 
किर्तनिया एवं लोक-थियेटरक प्रयोग- अहि  शॄंखला में कुणाल जी द्वारा कतेक रासे नाट्यक प्रस्तुति कयल गेल अछि ।“रुक्मिणी हरण“ नाटकक पहिल प्रस्तुति (4 अगस्त 1990) संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा जोनल थियेटर के लेल कायल गेल छल। बाद में अकर प्रस्तुति पटना, कोलकाता, बोकारो, बिराटनगर, मधुबनी आ आन जागह पर सेहो भेल छल। “ चालीस चोर आ गोनू झा”क पहिल प्रस्तुति (4 अगस्त 1993) में भेल छल जेकि संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित छल आ बाद में पटना, सहरसा तथा आन स्थान पर अकर प्रस्तुतीकरन कायल गेल छल। ई नाटक फ़ॉक-फ़ॉर्मक (किरतनिया रुप में भांट/पमरिया) एक प्रकारक नीक प्रयोग छल। सीतायण” (पहिल प्रस्तुति 29 अप्रैल 1997) सेहो संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित छल आ 5 बेर आरो प्रस्तुति कायल गेल। ई नाटक लीला आ नौटंकीक एकटा मिश्रण छल। मानव संशाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित नाटक “कुसुम सल्हेश” आ “ लोरिकायण” (पहिल प्रस्तुति क्रमश: 29 अप्रैल 1997आ 4 अगस्त 1999 ) पटना,उड़िसा एवां आन अकतेम ठाम अकर प्रस्तुति भेल छल। ई दुनू नाटक लोक-नाट्य के नाच शैली के साथ एक प्रयोग छल। मानव संशाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित नाटक “विदापत”  (पहिल प्रस्तुति 2002) किर्तनिया शैली में नाचक एकटा प्रयॊग छ्ल।“परिजात हरण’ जकर पहिल प्रस्तुति 4 अगस्त 2006 के भेल, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा कायल गेल। बाद में अहि नाटकक मंचन पटना, बेगुसराय, नई दिल्ली आर तेजपुर (गुवाहाटी) में कायल गेल। 21/05/2007 धरि अहि नाटक  के 8 बेर मंचन भए चुकल अछि। “बाबाक संस्कार”(पहिल प्रस्तुति 29 दिसंबर 2006)केर मंचन भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा प्रायोजित छल। ई नाटक लोक-नाट्य के पमरिया शैली अछि।
| "परिजात हरण"क सुन्दर दृष्य | 
कुणाल जी हीरावल के लेल (2टा नाटक) आ अक्षरा आर्टस के लेळ (2टा नाटक) हिन्दी नाटक के निर्देशन केने छैथ। 
नाट्य-प्रलेख़ (Theatre Documentation) 
कुणाल जी “रुक्मिणी हरण” आ “सीतायण ‘केर नाट्य संगीतक ऑडियो कसेट आर पमरिया (मिथिला के ले लोक नर्तक) के कला पामरा , आर ‘सीतायण’ केर विडियो प्रलेख तैयार केने छैथ।
पुरस्कार आ सम्मान
कुणाल जीके हुनकर कला आर साहित्यिक कर्मशीलता के लेल कतेक रासे सम्मान भेटल छैन। “बर्बरीक उवाच्” नाटक लेल कुणाल जीके “मोहन राकेश सम्मान” के प्रथम पुरस्कार भेटल छैन। 2011में चेतना समिति द्वारा पटना में हिनका थियेटर में लाइफ़ टाईम अचिवमेंटक चेतना सम्मान सं सम्मानित कायल गेल अछि। कुणाल जी EZCC, कोलकाता के गवर्निंग बॉडी के बिहार सं नामित सदस्य छैथ।
विडियो डॉक्यूमेंटरी आ सीरियल
कुणाल जी CIIL, मैसूर के लेल “VIdyapati and His Influence on Bangla” नामक  अंग्रेजी में एक घंटाक डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म आ बिहार संगीत नाटक अकादमी के लेल “मिथिला का संस्कार गीत” नामक हिन्दी में एक घंटाक डॉक्यूमेंटरी, कला एवं संस्कृति विभाग, बिहार सरकार के लेल” मिथिला पेंटिंग” पर आधा घंटाक फ़िल्मक के निर्माण केने छैथ।“ मिथिला के सांस्कृतिक धरोहर’ पर 13 एपिसोडक डॉक्यूमेंटरी निर्माणक कार्य चलि रहल अछि। कुनाल जी डीडी, पटना सं प्रसारित होमय बला मैथिलीक पहिल टेलि-सीरियल “ नैन न तिरअपित भेल” क पटकथा, संवाद लेखन आ सफ़ल निर्देशन (53 सं 78 ऎपिसोड तक) केने  छैथ । “मधुरमणि” आ ‘के सूप के चलनी” नाम के दूटा लघु फ़िल्मक पटकथा आ संवाद लिखने छैथ। कुणाल जी एखन एकटा प्रस्तावित मैथिली फ़िल्म आ एकटा मेगा सीरियल पर काय़ कय रहल छैथ आ जल्दिये ई फ़िल्म आ सीरियल देखबाक भेटत।- By Bhaskar Jha
कुनाल जीके बारे में के की कहलाहः==
Jitendra Jha Jitu -great  theathre perseon.....maithili natak me kirtaniya shaili ko lekar kam  kia hai.....accha aadme...helpful..jab ve maithili ntako ki baat  hoge..imko charcha hoge hi...maithili serial ke director.....hamre  gurudev..sabse kamal ka natak jike  chalte inhe pure desh me khyati mili rukmini haran aaur barbarik uvaach  hindi play ke lea mohan rakesh award se sammanit ve kia gaya..
Murli Dharः=  हं..  अहि फोटो के देख क हमरा मोन पडल..हिनका सन्दर्भ मे हमरा अनुज संजीव पूनम  झा(अभिनेता) द्वारा ग्यांत भेल...संजीव जी के बेड पर एकटा बिहार दिवस  (शताब्दी वर्श)क स्मारिका पड्ल रहैन हम पलटवैत रही तखन संजीव श्री कुनाल जी  के सन्दर्भ मे बताव लगलैथ हमरा हिनका बारे मे जाइन क आत्मिक प्रसन्ंता भेल  हिनका सं एहो आशा अछि जे मिथ्लाक लोक संसक्रिति सों जुडल आर कलात्मक धरोहर  जे प्राय: विलुअप्त भ रहल अछि खोजबिन करताह. हिनकर द्रिढता, कर्मठता, खोज,  अनुसन्धान् के सलाम. 
Sanjeev Poonam Mishra jinkar......kaaj  har samay biloop hoyat cheej par rahlain......hinkar documentery  mithila ke sanskaar geet   aa vidyapati kaafi lokpriye bha rahal  aich.......hinka baare me jaainek lel ahan ke lama adhyaan kara  parat........we salute sir।
Suruchi Verma hamare  guru jinke disha nirdeshan me maine kam kia aaur aaj jo ve safalta mili  hai chote se unhi ke den hai..maine unke sath vidyapati ..vaishali kai  natak kea ,,he is a nice person..salute guru ji ko...
Shubh Narayan Jha je  apan nenpane sa rangkarm hetu jeevan samarpit kene chouthapan tak  pahoonch gel ho hoonka hetu ham sab ki kahbain aa ki likhbainh. Jakhan  maithili natak apan gamaiya paridhi sa bahar niklalo nai chhal aa  kolkata me  Bau Shahaiv choudhry dwara maithili natak kenav swaroop  nirman bha rahal chhal ta patna Maithili Natakak adhunik swaroop ke  nirman me gambhita sa karya prarambh karai bala Kunalji Batuk Bhai urf  CHHATRANAND SINGH JHA ke sang aa Kumar Shailendra tatha Kumar Gagan ewan  ewan tesar kumar Keshav eetyadik sang je BHANGIMA sanstha dwara  maithili natak ke ekta nav uchay delaith ,kiyo maithili natak premi nai  bisair sakait aichh. o Maithili Me Natak ke ete ras prayog aa vividhta  dwar vibhinna prakar ke natak abhinit aa nirdeshit kelaith je nischite  maithili natakakduniya me ekta nik bhandar bha gel aichh. ona ham je  hoonak natak dekhne chhee oi me Umapati Upadhyay rachit kirtaniya natak  PARYAT HARAN le nai bisair sakait chhee/ ekkou ta charitra me katau lais  matra kami nai jakhan ki kam sa kam panch hajar shal pahile ke  paripekshhya me avdharit ee natak jahi me vartman me samkalin yuva  abhinata  ,e sab sa besi sambhavna bala abhineta Snjeev Mishra Krisnak  ohen dohri charitrak bhumika jahi me satyabhama ewang rukminik bich  chakki ke do pat me fansal hasait muskurait krishna ke dekhne chhee.  gajab ke nirdeshan aa Antar Rastriy Maithili Natya Pratiyogita me Prem  Lata Mishra Prem ke sang Asgar Asgar ke bhumika ke avismarniya banene   chhalah. katek likhu , likhab ta likhte chail jayab. Maithili Rangkarm k  ai Bhism Pitamah ke hamar koti koti pranam.  
Mailorang Repertory 'को  नहि जानत है जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो...'  मैथिली नाट्य जगत जखन  संकट क्षण मे छल तहि समय उदित भेलाह संकट मोचन अदरणीय कुणाल. कुणाल जी  बहुमुखी व्यक्तित्व छथि. मैथिली नाट्य जगतक आजुक समय मे प्रथम नाट्य  निर्देशक. ई कहबा मे कनियो भाँगठ नैहि अछि जे मैथिली नाटक के पटना मे  स्थापित करनिहार आ मैथिलीक विलुप्त होइत किरतनिया नाट्य शैलीक पुनर्जन्म  कर्ता आ. कुणाल जी छथि. आई मैलोरंग हिनके मजबूत नीव पर अपना के ठाढ़ बूझैत  अछि.
Prakash Jha आदरणीय  कुणाल सर के नमन अछि.. मैलोरंग द्वारा आगामी मलंगिया नाट्य महोत्सव मे एक  बेर फेर दिल्लीक दर्शक कुणाल जीक निर्देशन मे मैथिली नाटक काठक लोक देखताह.  अहूँ आबू नीक लागत...
Mollywood Maithlifilmindustry KUNAL JE KIO PARICHAY KE MOHTAJ NAYE YE.....BHANGIMA KE FOUNDER AUR MAITHILI RANGMANCH KE SUTRDHAR KUNAL JE KO NAMAN...  
Sanjeev Poonam Mishra ...aa hamra shradhey KUNAAL JEE ke under me TWO YEARS SCHOLARSHIP AWARD BY GOV. OF INDIA....KIRTANIA KA LEL BHETAL AICH...........AOR LAGBHAG 30 TA CHHTRA HINKA UNDER ME SCHOLAR SHIP PRAPT KA LAABHANWEET BHELA.....JE RECORD AICH....
  
Sanjeev Poonam Mishra ...aa hamra shradhey KUNAAL JEE ke under me TWO YEARS SCHOLARSHIP AWARD BY GOV. OF INDIA....KIRTANIA KA LEL BHETAL AICH...........AOR LAGBHAG 30 TA CHHTRA HINKA UNDER ME SCHOLAR SHIP PRAPT KA LAABHANWEET BHELA.....JE RECORD AICH....
कुणाल जी अखबार में
wow.....great...our path maker..maithili theatre bhangima ka founder. kirtania form ka praneta, jinkar jeewan maithili aa maithili theatre aa maithili kalakaar ke bare me sochnihaar....aa apan jeewan theatre ke lel samarpeet.....nain na tirpeet bhel....mihila ke sanskaar geet...ityadi....doc...aur.....jee....ham appan gurujee ke charan kamal sparsh............
ReplyDeletekunal bhai naa hote to main bhagait (mithilanchal kee gramya gayaan shaili)par theatrical work naa kar paataa.
ReplyDeleteunke dwara diyaa gayaa protsahan mujhe apne jeevan ko dishaa dene mein bhi sahayak rahaa hai.
सुन्नर आलेख भास्कर जी! कुणाल जी के योगदान आ काज अभूतपूर्व आ अति-महत्वपूर्ण अछि!
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